http://garhwalbati.blogspot.com
मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल विकास कार्यो को सरकारी अमला किस तत्परता से अंजाम देता है, घाड़ क्षेत्र के अंतर्गत चरेख डांडा में प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री की घोषणा के उपरांत जून 2010 में इस संबंध में भले ही शासनादेश जारी कर दिया गया हो, लेकिन संबंधित विभाग ने निर्माण तो दूर, आज तक इस संस्थान की स्थापना को भूमि तक का चयनित नहीं किया है।
24 सितंबर 2009 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने कोटद्वार में आयोजित जनसभा में घाड़ क्षेत्र के अंतर्गत चरेख डांडा में अंतर्राष्ट्रीय आयुष संस्थान खोलने की घोषणा की। जून 2010 में इस संबंध में बाकायदा शासनादेश जारी कर दिया गया। साथ ही संस्थान की स्थापना को भूमि की तलाश भी शुरू कर दी गई। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाए कि शासनादेश होने के करीब आठ माह बाद भी संस्थान के लिए भूमि का चयन नहीं हो पाया है।
क्या हैं परेशानियां
अंतर्राष्ट्रीय आयुष शोध संस्थान के लिए शासन को करीब साठ एकड़ भूमि की दरकार है। चरेख क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थिति के मद्देनजर शासन ने इस संस्थान को दो हिस्सों में बांट दिया, जिसके तहत चरेख में संस्थान की इकाई स्थापित होनी है व इसके लिए दस एकड़ भूमि की दरकार है जबकि विस्तृत संस्थान का निर्माण कोटद्वार क्षेत्र में 50 एकड़ भूमि पर किया जाना प्रस्तावित है। साथ ही चरेख में दो एकड़ भूमि पर आयुष ग्राम की भी स्थापना की जानी है। हैरत की बात यह है कि शासनादेश होने के करीब आठ माह बाद आज भी चरेख डांडा में संस्थान की इकाई खोलने को दस एकड़ भूमि का प्रबंध नहीं हो पाया है। गत 27 जनवरी को क्षेत्रीय विधायक शैलेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में उपजिलाधिकारी, लोनिवि, जल संस्थान व ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने चरेख का स्थलीय निरीक्षण कर ग्रामीणों से वार्ता की। वार्ता के दौरान ग्रामीणों ने भी संस्थान स्थापना को नापखेत भूमि देने पर सहमति जताई, लेकिन आज तक इस संबंध में न तो कोई प्रस्ताव बन पाया है और न ही भूमि दिए जाने संबंधी भूमि प्रक्रिया आगे बढ़ पाई है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati