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देहरादून : मौसम की मार से त्रस्त उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र के किसानों के लिए राहत भरी खबर है। अब पहाड़ी क्षेत्र के आलू, टमाटर व अदरक उत्पादक भी मौसम आधारित फसल बीमा योजना का लाभ उठा सकेंगे। इस संबंध में शासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। यानि खरीफ सीजन 2011-12 में सूखा, अतिवृष्टि या अधिक तापमान से फसल खराब होने पर किसानों को बीमा के रूप में क्षतिपूर्ति मिल सकेगी। संसूचित फसलों के लिए बैंकों से ऋणी कृषकों के घोषणापत्र 15 जून तक प्राप्त किए जाएंगे, जबकि स्वैच्छिक आधार पर किसानों के प्रस्ताव पत्र प्राप्त करने की अंतिम तिथि 30 अपै्रल है।
मौसम आधारित फसल बीमा योजना मैदानी क्षेत्रों में बीते रबी सीजन में की गई थी। अब पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खरीफ सीजन में इसे पायलट आधार पर लागू किया गया है। इस सिलसिले में उद्यान सचिव विनोद फोनिया की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चंपावत व बागेश्वर में आलू, टमाटर व अदरक फसलें बीमा के लिए संसूचित की गई हैं। समस्त कृषक जो संसूचित फसलों का उत्पादन संबंधित संसूचित क्षेत्रों में कर रहे हैं, अपनी फसल का बीमा करा सकते हैं। योजना संचालन के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को अधिकृत किया गया है। बीमा घटक अधिक तापमान, वर्षा की कमी, अधिक वर्षा होंगे। योजना में प्रीमियम की राशि का पचास फीसदी किसान और बाकी केंद्र व राज्य सरकार वहन करेंगे। संसूचित फसलों के लिए बैंकों से ऋण लेने पर बैंकों के जरिए यह बीमा अनिवार्य किया गया है। स्वैच्छिक आधार पर बीमा का लाभ लेने के लिए भी किसान का किसी भी वित्तीय संस्थान में खाता होना आवश्यक है। योजना से सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों के लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा।
मौसम आधारित फसल बीमा योजना मैदानी क्षेत्रों में बीते रबी सीजन में की गई थी। अब पर्वतीय क्षेत्रों के लिए खरीफ सीजन में इसे पायलट आधार पर लागू किया गया है। इस सिलसिले में उद्यान सचिव विनोद फोनिया की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक अल्मोड़ा, नैनीताल, पिथौरागढ़, देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चंपावत व बागेश्वर में आलू, टमाटर व अदरक फसलें बीमा के लिए संसूचित की गई हैं। समस्त कृषक जो संसूचित फसलों का उत्पादन संबंधित संसूचित क्षेत्रों में कर रहे हैं, अपनी फसल का बीमा करा सकते हैं। योजना संचालन के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी को अधिकृत किया गया है। बीमा घटक अधिक तापमान, वर्षा की कमी, अधिक वर्षा होंगे। योजना में प्रीमियम की राशि का पचास फीसदी किसान और बाकी केंद्र व राज्य सरकार वहन करेंगे। संसूचित फसलों के लिए बैंकों से ऋण लेने पर बैंकों के जरिए यह बीमा अनिवार्य किया गया है। स्वैच्छिक आधार पर बीमा का लाभ लेने के लिए भी किसान का किसी भी वित्तीय संस्थान में खाता होना आवश्यक है। योजना से सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों के लघु एवं सीमांत किसानों को लाभ मिलेगा।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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