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उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में प्राकर्तिक आपदा से हो रहे विनाश के कारण जहाँ एक ओर वहां की प्राकर्तिक सुन्दरता का विनाश हो रहा है वहीँ दूसरी ओर कर्णप्रयाग में गत वर्ष आयी दैवीय आपदा से विकासखंड कर्णप्रयाग के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण अंचलों के मोटर मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गये थे। अब तक इन मार्गो की मरम्मत न किये जाने से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीण अंचल के इन मोटर मार्गो में सबसे ज्यादा खस्ताहाल स्थिति लोनिवि गौचर के अंतर्गत आने वाले कर्णप्रयाग-नैनीसैंण, सोनला-कंडारा-मैखुरा, बडेथ-पिंडवाली की बनी हुई है। इन मोटर मार्गो पर दैवीय आपदा के दौरान बुरी तरह धराशाही हुए पुश्तों व पहाड़ी का मलबा 6 माह बाद भी नहीं हटाया गया है, जबकि पिछले दिनों हुई बारिश ने समस्या को बढ़ा दिया है। क्षेत्रीय प्रधानों खीम सिंह भंडारी, नरेन्द्र सिंह, कनक सिंह, गुड्डी देवी, राजेन्द्र सिंह ने कहा कि इसके लिए कई बार लोनिवि अधिकारियों को अवगत कराया गया, लेकिन समस्या जस की तस है। हालात इस कदर बदत्तर बने हैं कि दो माह पूर्व किमी. 7 में किमोली के समीप किया गया एक किमी. डामरीकरण कई स्थानों से उखड़ गया है। इसी तरह सिमली-शैलेश्वर, बगोली-कोटी, सिमली-बेनीताल की भी स्थिति बनी है और कोटी मार्ग के कोल्सों बैंड के समीप मार्ग के पुश्तों पर कार्य प्रारंभ नही होने से हर समय दुर्घटना का अंदेशा बना है। जिला पंचायत सदस्य भुवन नौटियाल ने कहा कि इस संबध में अधीक्षण अभियंता लोनिवि गोपेश्वर को अवगत कराने के बाद भी विभागीय अधिकारी इसे गंभीरता से नही ले रहे हैं।
दैवीय आपदा के दौरान क्षतिग्रस्त मोटर मार्गो की सुरक्षा दीवार व पुश्ते निर्माण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जबकि कच्चे मार्गो के डामरीकरण के प्रस्ताव व आंगणन शासन को भेजे गये हैं।
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