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प्रदेश में स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर फिर से बबाल शुरू हो रहा है। उत्तराखण्ड क्रांतिदल ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार स्थायी राजधानी, भ्रष्टाचार सहित अन्य विषयों पर कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों की सम्पत्तियों की सीबीआई की जांच की मांग की गई है। राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि यह जनभावनाओं के अनुकूल है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कौशिक समिति की रिपोर्ट में यह बात पहले ही आ चुकी है। इसके लिए बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने आमरण अनशन कर अपने जीवन का बलिदान भी दिया था। ज्ञापन में 11 वर्षो के बाद भी उत्तर प्रदेश के विकल्पधारी कर्मचारी, शासन-प्रशासन की ढिलाई के चलते उत्तर प्रदेश को अवमुक्त नहीं किए गए हैं। जिससे कर्मचारियों के प्रोन्नत के अवसर तो प्रभावित हो ही रहे हैं। यहां के बेरोजगारों को रोजगार का टोटा हो रहा है। लगातार बढ़ रही महंगाई पर राज्य केंद्र पर व केंद्र राज्य के मत्थे मढ़कर अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जो ठीक नहीं है। राज्य सरकार अपनी ओर से सभी आवश्यक वस्तुओं को सरकारी सस्ता-गल्ला की दुकानों में उपलब्ध कराए, राशनकार्ड के आधार पर राशन वितरण के स्थान पर यूनिट को मानक बनाकर राशन वितरण कर महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। रसोई गैस में राज्य सरकार द्वारा प्रति सिलेंडर सब्सिडी दी जानी चाहिए। राज्य आंदोलनकारी चिह्नीकरण के मानकों में परिवर्तन सहित अनेक मांगें शामिल की गई हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री को भी एक ज्ञापन प्रेषित किया है। जिसमें समूह ग की भर्तियों में निर्धारित मानकों में संशोधन तथा स्थानीय बोलियों को प्राथमिकता दिए जाने के शासनादेश की बहाली की मांग की है।
प्रदेश में स्थायी राजधानी गैरसैंण की मांग को लेकर फिर से बबाल शुरू हो रहा है। उत्तराखण्ड क्रांतिदल ने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार स्थायी राजधानी, भ्रष्टाचार सहित अन्य विषयों पर कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर में धरना-प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भेजा।
ज्ञापन में प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों की सम्पत्तियों की सीबीआई की जांच की मांग की गई है। राजधानी गैरसैंण को बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि यह जनभावनाओं के अनुकूल है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित कौशिक समिति की रिपोर्ट में यह बात पहले ही आ चुकी है। इसके लिए बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने आमरण अनशन कर अपने जीवन का बलिदान भी दिया था। ज्ञापन में 11 वर्षो के बाद भी उत्तर प्रदेश के विकल्पधारी कर्मचारी, शासन-प्रशासन की ढिलाई के चलते उत्तर प्रदेश को अवमुक्त नहीं किए गए हैं। जिससे कर्मचारियों के प्रोन्नत के अवसर तो प्रभावित हो ही रहे हैं। यहां के बेरोजगारों को रोजगार का टोटा हो रहा है। लगातार बढ़ रही महंगाई पर राज्य केंद्र पर व केंद्र राज्य के मत्थे मढ़कर अपना-अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जो ठीक नहीं है। राज्य सरकार अपनी ओर से सभी आवश्यक वस्तुओं को सरकारी सस्ता-गल्ला की दुकानों में उपलब्ध कराए, राशनकार्ड के आधार पर राशन वितरण के स्थान पर यूनिट को मानक बनाकर राशन वितरण कर महंगाई को रोकने का प्रयास किया जाना चाहिए। रसोई गैस में राज्य सरकार द्वारा प्रति सिलेंडर सब्सिडी दी जानी चाहिए। राज्य आंदोलनकारी चिह्नीकरण के मानकों में परिवर्तन सहित अनेक मांगें शामिल की गई हैं। इसी क्रम में मुख्यमंत्री को भी एक ज्ञापन प्रेषित किया है। जिसमें समूह ग की भर्तियों में निर्धारित मानकों में संशोधन तथा स्थानीय बोलियों को प्राथमिकता दिए जाने के शासनादेश की बहाली की मांग की है।
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