लगातार खिसक रहे पहाड़ों के बीच ग्रामीण जिंदगी काटने को मजबूर हैं। लगातार हो रही बारिश के चलते पिछले चार दिनों से उत्तरौं गांव में भूधंसाव व भूस्खलन जारी है। ग्रामीण दहशत में हैं और प्रशासन उदासीन।
बीते सोमवार से शुरू हुए भूस्खलन ने अब भयानक रूप ले लिया है। सोमवार को गांव के मतिहारी नामे तोक में बड़ी संख्या में पेड़ भूस्खलन की भेंट चढ़ गए। लगातार बढ़ते जा रहे भूस्खलने से कई ग्रामीणों के खेत तबाह हो गये हैं। ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन की ओर से शीघ्र ही कोई उपाय न किये गये, तो भूस्खलन की जद में पूरा गांव आ सकता है। दूसरी ओर, भूस्खलन के बाद पानी के भी कई नाले फूटने में गांव में आम रास्ते भी चलने लायक नहीं रह गए है। भूस्खलन का दूरी गांव से महज सौ मीटर ही दूर रह गई है साथ ही इसके चपेट में ग्रामीणों के पेयजल स्त्रोत और पशुशाला भी आ गए हैं।
बीते चार दिनों में प्रशासन की ओर से ग्रामीणों के लिए की सुरक्षा के लिए कोई उपाय ना किए जाने से ग्रामीणों में रोष है। जिला पंचायत सदस्य कमल सिंह रावत, क्षेत्र पंचायत सदस्य विजेंद्र सिंह मखलोगा, ग्राम प्रधान दयाल सिंह चौहान आदि ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर शीघ्र ही सुरक्षा की मांग के साथ ही क्षतिग्रस्त हुए गौशालाओं के मुआवजे दिलवाए जाने की मांग की है।
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