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Sunday, September 11, 2011

चार दिन चले अढ़ाई कोस

http://garhwalbati.blogspot.com
श्रीनगर : पांच माह बीतने के बाद भी आरटीई के तहत जिले के 264 निजी विद्यालयों में से केवल 41 प्रतिशत बच्चों को ही प्रवेश मिल पाया है। अधिनियम के तहत कई ब्लॉक तो अपने क्षेत्र के निजी विद्यालयों में एक तिहाई बच्चों को भी प्रवेश नहीं दिला पाए हैं। जिले में केवल नैनीडांडा ब्लॉक के निजी विद्यालयों में ही शत-प्रतिशत बच्चों को प्रवेश मिल पाया है।
कमजोर व गरीब बच्चों को निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 लागू किया गया। अधिनियम के तहत क्षेत्र के निजी विद्यालयों की सबसे छोटी कक्षा में 25 प्रतिशत सीटें अपवंचित व कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान है। उत्तराखंड में शैक्षणिक सत्र 2011-12 में इस अधिनियम को धरातल पर उतारा गया। अधिनियम लागू हुए पांच माह बीत जाने के बाद भी पौड़ी जनपद के 15 ब्लॉकों के 264 निजी विद्यालयों में 1787 आरक्षित सीटों के सापेक्ष केवल 744 बच्चों को ही अपने क्षेत्र के निजी विद्यालयों में प्रवेश मिल पाया है। जिले का नैनीडांडा ब्लॉक इस अधिनियम के तहत प्रवेश दिलाने में एक मात्र अपवाद है।
जिला मुख्यालय पौड़ी, दुगड्डा व एकेश्वर ब्लॉक के निजी विद्यालयों में आरक्षित सीटों के सापेक्ष एक तिहाई बच्चे भी निजी विद्यालयों में प्रवेश नहीं ले पाये हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी अधिनियम के तहत केवल 41 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश होने के पीछे अभिभावकों में जागरूकता की कमी व अधिनियम का सत्र शुरू होने के पश्चात लागू होना बता रहे हैं। वहीं अधिकारी कई निजी विद्यालयों पर मनमानी का आरोप लगाते हुए अधिनियम के तहत प्रवेश न देने की बात भी कर रहे हैं।
'अधिकांश लोग नगरीय क्षेत्र के विद्यालयों में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाना चाहते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के निजी विद्यालयों में निर्धारित आरक्षित सीटें नहीं भर पाई हैं। अधिनियम के तहत बच्चों को प्रवेश न देने वाले विद्यालयों को पूर्व में नोटिस भेजे जा चुके हैं। शिकायत मिलने पर विद्यालय की मान्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जायेगी।'
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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