गोपेश्वर : मालबज्वाड़ और देवलकोट गांवों में गर्मी हो या सर्दी, पेयजल का संकट हमेशा बना रहता है। स्थिति यह है कि आज भी यहां टैंकरों से पानी भेजा जा रहा है। सरकारी व्यवस्था के अलावा ग्रामीण अपने आप भी वाहनों में पानी लाकर किसी तरह प्यास बुझा रहे हैं। स्थिति यह है कि मवेशियों ने भरपेट पानी बारिश के मौसम के बाद शायद ही पिया हो। ग्रामीणों ने स्थिति से निपटने के लिए मवेशियों को पानी के स्रोत के पास छानियों में छोड़ रखा है।
जनपद चमोली के ब्लॉक थराली का 250 की जनसंख्या वाला देवलकोट और 225 की आबादी वाली मालबज्वाड़ ग्राम सभाएं पास-पास ही हैं। इन दोनों गांवों में पहले नौला तोक में पानी का स्रोत था। गांव वालों की जिंदगी हंसी खुशी कट रही थी, लेकिन दो दशक पूर्व पेयजल स्रोतों में पानी कम होना शुरू हुआ और करीब एक दशक पहले इन स्रोतों में पानी मात्र बारिश में ही उपलब्ध होने लगा। नतीजन ग्रामीण पेयजल संकट से परेशान हो उठे। पानी के लिए लगातार जन आंदोलन भी हुए।
ग्रामीणों के सूखे कंठ तर करने के लिए उत्तराखंड पेयजल निगम ने 2006 में गधेरा से गांव तक 18 किलोमीटर लंबी पेयजल योजना के लिए एक करोड़ 53 लाख का प्रस्ताव भेजा। 2010 में इस योजना को वित्तीय स्वीकृति मिली। 2011 में विभाग ने पेयजल लाइन के लिए दो बार निविदाएं आमंत्रित की, लेकिन दोनों बार एक ही ठेकेदार के निविदा में शामिल होने से कार्य शुरू नहीं हो पाया। विभाग ने इस योजना को स्वैप मोड में ग्रामीणों की ही पेयजल समिति बनाकर कार्य कराने की मंशा जाहिर की, परंतु इतने बड़े कार्य को करने में ग्रामीणों ने भी असमर्थता जताई। अब हालत यह है कि बारिश का पानी एकत्रित कर लोग किसी तरह जीवनचर्या आगे बढ़ाते हैं। शादी में मेहमानों को पहले ही समस्या से अवगत कराकर जरूरी कार्यो के लिए ही पानी उपलब्ध कराया जाता है। यहां तक कि जब गांव से ग्रामीण बाजार की ओर जाते हैं तो वापस लौटते हुए डिब्बे में पानी भरकर जरूर लाते हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
हमें पीने के लिए पानी नहीं मिलता, मवेशियों को कहां से पिलाएं। इसलिए हमने गांव से दूर दूसरे गांव की सीमा में पेयजल स्रोतों के पास छानियां बनाकर मवेशियों को रखा है।
मालती देवी, ग्राम प्रधान, देवलकोट
हमारे गांव में पानी का संकट है। इसलिए हम शादी बारिश के मौसम के दौरान ही करना उचित समझते हैं, ताकि पानी की समस्या से कार्य प्रभावित न हो। पेयजल योजना स्वीकृत होने से हमारी प्यास नहीं बुझेगी।
रघुवीर सिंह गुसांई, ग्राम प्रधान, मालबज्वाड़
क्या कहते हैं अधिकारी
यह सच है कि मालबज्वाड़ व देवलकोट गांव में पेयजल संकट है। टैंकरों से पानी भेजकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। गांवों के लिए स्वीकृत पेयजल योजना पर दो बार टेंडर हो चुके हैं, लेकिन एकल टेंडर के कारण इन्हें निरस्त करना पड़ा। अब दुबारा टेंडर आमंत्रित कर जल्द ही कार्य शुरू कराया जाएगा। कार्य को त्वरित गति देने के लिए विभाग द्वारा वितरण टैंक से गांव तक का कार्य ग्रामीणों से ही कराने की कार्ययोजना बनायी है।
सुभाष चंद्र सुंद्रियाल, अपर सहायक अभियंता, उत्तरांचल पेयजल निगम
jagran.com se sabhar
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