राजसिंह (इ-रिपोर्टर) | श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल)। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के कुलसचिव प्रो। उदय सिंह रावत ने कहा कि स्थानीय लोगों के साथ पहाड़ के प्रवासी नागरिकों को भी अपने गांवों की सुध लेनी होगी। गांवों का विकास हुए बिना प्रदेश का सर्वागीण विकास नहीं हो सकता है।
रविवार को कठूड़ गांव में गढ़वाल विवि के प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग द्वारा 'गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कुलसचिव डा। यूएस रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण निहित है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जब तक प्रत्येक परिवार पूर्ण मनोयोग से साझे प्रयास नहीं करता, पहाड़ में प्रकृति, समाज और जीवन के अस्तित्व पर पर्यावरण रूपी खतरे मंडराते रहेंगे। लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर विशेष बल देते हुए डा. उदय रावत ने कहा कि पहाड़ में महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर भी देने चाहिए। इस दौरान प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संपूर्ण सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को सक्रिय पहल करनी होगी। सतत शिक्षा केन्द्रों के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने विचार गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में भी बताया। मुख्य वक्ता और संस्कृति कर्मी गणेश खुगशाल ने कहा कि ग्राम स्तर पर ऐसी विचार गोष्ठियां पर्यावरण संरक्षण को लेकर सार्थक संवाद का माध्यम भी बनती हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को अपने विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। पंचायत प्रणाली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में अब भी महिलाएं नई पहल नहीं कर पा रही हैं। जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के लिए महिलाएं अभी भी दहलीज लांघने को तैयार नहीं हैं। डाल्यों का दगड़्या के संस्थापक अध्यक्ष डा. मोहन सिंह पंवार ने परंपरागत लोकज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मध्य अर्थपूर्ण सामंजस्य पर बल दिया। डा. पंवार ने कहा कि जल संरक्षण के साथ मिश्रित वनों का विकास जरूरी है। डा. पंवार ने कहा कि स्वच्छता और आजीविका के संसाधनों को बढ़ाने को लेकर गांवों में संगठित प्रयासों की जरूरत है, जिसके लिए गढ़वाल विवि के सतत शिक्षा केन्द्र सशक्त माध्यम भी बन सकते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राइंका खोला के प्रधानाचार्य प्रमोद धस्माना ने गांवों के प्रदूषित होते जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी। नई पीढ़ी को सामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करने को लेकर बहुआयामी प्रयास किए जाने चाहिए। कोट के ज्येष्ठ प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत, कठूड़ के क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मवीर सिंह नेगी, युवक मंगल दल के अध्यक्ष अरविंद शाह, ग्राम प्रधान कठूड़ बसंत नेगी ने भी गोष्ठी में विचार व्यक्त किए। विभाग के प्रवक्ता राकेश भट्ट ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। क्षेत्रीय समन्वयक कमलेश नैथानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
प्रयास.कॉम से साभार
रविवार को कठूड़ गांव में गढ़वाल विवि के प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग द्वारा 'गांवों में पर्यावरण के संरक्षण की चुनौतियां एवं निराकरण' विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते कुलसचिव डा। यूएस रावत ने कहा कि भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण निहित है। पर्यावरण संरक्षण के लिए जब तक प्रत्येक परिवार पूर्ण मनोयोग से साझे प्रयास नहीं करता, पहाड़ में प्रकृति, समाज और जीवन के अस्तित्व पर पर्यावरण रूपी खतरे मंडराते रहेंगे। लैंगिक भेदभाव को दूर करने पर विशेष बल देते हुए डा. उदय रावत ने कहा कि पहाड़ में महिलाओं को आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर भी देने चाहिए। इस दौरान प्रौढ़ सतत शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संपूर्ण सिंह रावत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्राम स्तर पर जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों को सक्रिय पहल करनी होगी। सतत शिक्षा केन्द्रों के कार्यो पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने विचार गोष्ठी के उद्देश्यों के बारे में भी बताया। मुख्य वक्ता और संस्कृति कर्मी गणेश खुगशाल ने कहा कि ग्राम स्तर पर ऐसी विचार गोष्ठियां पर्यावरण संरक्षण को लेकर सार्थक संवाद का माध्यम भी बनती हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण महिलाओं को अपने विकास के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता है। पंचायत प्रणाली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में अब भी महिलाएं नई पहल नहीं कर पा रही हैं। जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा के लिए महिलाएं अभी भी दहलीज लांघने को तैयार नहीं हैं। डाल्यों का दगड़्या के संस्थापक अध्यक्ष डा. मोहन सिंह पंवार ने परंपरागत लोकज्ञान और आधुनिक विज्ञान के मध्य अर्थपूर्ण सामंजस्य पर बल दिया। डा. पंवार ने कहा कि जल संरक्षण के साथ मिश्रित वनों का विकास जरूरी है। डा. पंवार ने कहा कि स्वच्छता और आजीविका के संसाधनों को बढ़ाने को लेकर गांवों में संगठित प्रयासों की जरूरत है, जिसके लिए गढ़वाल विवि के सतत शिक्षा केन्द्र सशक्त माध्यम भी बन सकते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए राइंका खोला के प्रधानाचार्य प्रमोद धस्माना ने गांवों के प्रदूषित होते जल स्रोतों के संरक्षण और उनकी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी। नई पीढ़ी को सामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संरक्षण के प्रति जागरूक करने को लेकर बहुआयामी प्रयास किए जाने चाहिए। कोट के ज्येष्ठ प्रमुख सुरेन्द्र सिंह रावत, कठूड़ के क्षेत्र पंचायत सदस्य धर्मवीर सिंह नेगी, युवक मंगल दल के अध्यक्ष अरविंद शाह, ग्राम प्रधान कठूड़ बसंत नेगी ने भी गोष्ठी में विचार व्यक्त किए। विभाग के प्रवक्ता राकेश भट्ट ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। क्षेत्रीय समन्वयक कमलेश नैथानी ने कार्यक्रम का संचालन किया।
प्रयास.कॉम से साभार
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thank for connect to garhwali bati