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रामनगर: 'प्रकृति के सफाई कर्मी' यानी गिद्ध विलुप्ति के कगार पर हैं। चौंकाने वाली बात है कि तमाम कोशिशों के बावजूद पूरे देश में मात्र 50 हजार गिद्ध ही बचे हैं। इस प्रजाति के संरक्षण को 'बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी' ने हाथ बढ़ाए हैं। तीन सदस्यीय दल ने बाकायदा कॉर्बेट पार्क के बाहरी क्षेत्रों में डेरा डाल अध्ययन व गणना शुरू कर दी है। टीम उत्तराखंड के बाद राजस्थान में गिद्धों की गणना का काम करेगी।
दरअसल, 90 के दशक में देशभर में चार करोड़ गिद्ध पाए गए थे। मगर संरक्षण के अभाव व मानवीय चूक से प्रकृति के ये स्वच्छकार अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। 2007 की चौंकाने वाली गणना बताती है कि विलुप्त होती यह प्रजाति मात्र 50 हजार ही रह गई है। भारत में अध्ययन व गणना में जुटी बॉम्बे नेचुरूल हिस्ट्री सोसायटी के पिंजौर हरियाणा से आया तीन सदस्यीय दल यहां पहुंच चुका है। सदस्यों ने ढिकुली व रिगोंड़ा जंगल के समीप गिद्धों की गणना व अध्ययन किया। दल के मंदाल कुलकर्णी के मुताबिक सोसायटी पूरे देश में गिद्धों की गणना कर विलुप्त होने के कारण ढूंढ रही है। ताकि इनका संरक्षण किया जा सके।
उन्होंने बताया कि गिद्धों के बारे में पूरी गणना व जानकारी एकत्र कर सोसायटी को सौंपी जायेगी। पिछली गणना व अबकी गणना के आधार पर गिद्धों के कम ज्यादा होने की जानकारी मिलेगी।
दरअसल, 90 के दशक में देशभर में चार करोड़ गिद्ध पाए गए थे। मगर संरक्षण के अभाव व मानवीय चूक से प्रकृति के ये स्वच्छकार अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं। 2007 की चौंकाने वाली गणना बताती है कि विलुप्त होती यह प्रजाति मात्र 50 हजार ही रह गई है। भारत में अध्ययन व गणना में जुटी बॉम्बे नेचुरूल हिस्ट्री सोसायटी के पिंजौर हरियाणा से आया तीन सदस्यीय दल यहां पहुंच चुका है। सदस्यों ने ढिकुली व रिगोंड़ा जंगल के समीप गिद्धों की गणना व अध्ययन किया। दल के मंदाल कुलकर्णी के मुताबिक सोसायटी पूरे देश में गिद्धों की गणना कर विलुप्त होने के कारण ढूंढ रही है। ताकि इनका संरक्षण किया जा सके।
उन्होंने बताया कि गिद्धों के बारे में पूरी गणना व जानकारी एकत्र कर सोसायटी को सौंपी जायेगी। पिछली गणना व अबकी गणना के आधार पर गिद्धों के कम ज्यादा होने की जानकारी मिलेगी।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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