कोटद्वार: सूचना अधिकार अधिनियम के तहत भ्रामक जानकारी देने के आरोप में राज्य सूचना आयोग ने सतपुली तहसील के तत्कालीन उपजिलाधिकारी पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है।
मिली जानकारी के अनुसार ग्राम झंडीचौड़ (पूर्वी) निवासी आरएस नेगी की ओर से गत वर्ष मई माह में सतपुली तहसील के उपजिलाधिकारी से ग्राम पंचायत बिलखेत, बटखोलू, कुल्हाड़ के परिवार रजिस्टर में कोली जाति के संबंध में अंकित सूचना की जानकारी मांगी गई। इसमें पूछा गया था कि उक्त ग्राम सभाओं में किस शासनादेश के तहत कितने कोली परिवारों को अनुसूचित शिल्पकार अंकित किया गया है। साथ ही पूछा गया कि कोली राजपूतों की जाति परिवर्तन में भारतीय संविधान अनुच्छेद 341 का विधिवत पालन किया गया है या नहीं।
इस पर लोक सूचना अधिकारी/उपजिलाधिकारी की ओर से सूचना न दिए जाने पर अपीलीय अधिकारी/जिलाधिकारी में अपील की गई। जिलाधिकारी की ओर से पारित आदेश के आधार पर ग्राम प्रधान, कुल्हाड़ की ओर से उक्त सूचना पर जानकारी उपलब्ध कराई गई। इसमें बटखोलू व बिलखेत को ग्रामसभा कुल्हाड़ से संबंधित नहीं दिखाया गया। आरोप है कि ग्राम प्रधान की ओर से ग्राम सभा कुल्हाड़ के संबंध में मांगी गई जानकारियां भी भ्रामक रहीं। इसके बाद श्री नेगी ने राज्य सूचना आयोग की शरण ली।
25 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त नृप सिंह नपच्याल ने दोनों पक्षों को सुना। मुख्य चुनाव आयुक्त ने माना कि लोक सूचना अधिकारी/उपजिलाधिकारी की ओर से ग्राम प्रधान की जानकारी का न तो परीक्षण किया गया और न ही अपने स्तर से सही सूचना दी गई। मुख्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए व पांच मई को अगली सुनवाई की तिथि तय कर दी। पांच मई को हुई सुनवाई में मुख्य सूचना आयुक्त ने सतपुली तहसील के तत्कालीन उपजिलाधिकारी एके पांडे को भ्रामक सूचना देने का दोषी पाते हुए 25 हजार का जुर्माना कर दिया।
in.jagran.yahoo.com
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