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देहरादून । जब मंत्री और शासन के बड़े अफसर परंपरागत एंबेसडर कारों की बजाए लक्जरी कारों को तरजीह देने लगे हैं तो भला जिलों के मुखिया कैसे पीछे रहते। यह सच है कि अब सूबे के कई जिलों के जिलाधिकारियों की दिली इच्छा है कि उन्हें एंबेसडर की जगह इनोवा, जाइलो या स्कार्पियो जैसी बड़ी गाड़ियां दी जाएं। इस तरह के कई पत्र शासन के पास आए हैं। दिलचस्प बात यह है कि बड़ी गाड़ी की मांग करने वालों में कई उप जिलाधिकारी तक शामिल हैं। कुछ साल पहले तक एंबेसडर को रुआब और स्टेटस का प्रतीक समझा जाता था लेकिन अब धीरे-धीरे शासन और सत्ता की हनक दिखाने वाले इस वाहन पर नए मॉडल की लक्जरी कारें भारी पड़ती नजर आ रही हैं। सरकार और शासन के नुमांइदे तो इस वाहन से किनारा कर ही रहे हैं, अब जिलों के अधिकारियों को भी ये रास नहीं आ रही हैं। दरअसल, इन दिनों शासन में कई जिलों के जिलाधिकारियों के साथ ही उप जिलाधिकारियों ने डिमांड की है कि उन्हें एंबेसडर के स्थान पर अन्य कारें और वह भी लेटेस्ट मॉडल, मुहैया कराई जाएं। इन अफसरों की ओर से शासन को बकायदा पसंद भी बताई गई है। मसलन, एक जिलाधिकारी को लंबी इनोवा पुरानी एंबेसडर से कहीं ज्यादा बेहतर दिख रही है तो दूसरे अफसर की पसंद जाइलो या फिर स्कार्पियो है। शासन की तरफ से उन्हें बुलेरो वाहन का विकल्प दिया गया मगर अधिकांश ने इसके प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। सूत्रों का कहना है कि राजस्व विभाग को प्राप्त इन पत्रों के आधार पर नए वाहनों की खरीद का प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग से भेजा जा रहा है। इस संबंध में जानकारी के लिए प्रमुख सचिव [राजस्व] ओमप्रकाश से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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