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Thursday, September 27, 2012

दोहरी मार: जमीन गई, रोजगार भी नहीं मिला

http://garhwalbati.blogspot.in

उत्तरकाशी : पाला मनेरी परियोजना का काम बंद होना औंगी गांव के लिये नुकसानदेह साबित हो रहा है। इस गांव की अधिकांश काश्त की भूमि परियोजना निर्माण के लिये अधिग्रहीत कर ली गई थी। गांव के चार परिवार तो पूरी तरह भूमिहीन ही हो गए। ऐसे में इन लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।
वर्ष 2007 में जल विद्युत निगम ने गंगा भागीरथी पर पाला मनेरी परियोजना निर्माण के लिये औंगी गांव में एडिट टनल और सड़क के लिये जमीन अधिग्रहीत की थी जिसमें बड़े पैमाने पर ग्रामीणों की खेती की जमीन चली गई। इसके अलावा हरि चंद, कबूल चंद, बद्री चंद व शिवचंद भूमिहीन हो गये। यह चारों परिवार वर्ष 2002 में डिडसारी गाड में आई बाढ़ में दस अन्य प्रभावित परिवारों के साथ अपना भवन भी गवां चुके थे। तब भी इन परिवारों को शासन प्रशासन की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। परियोजना के लिये भूमि अधिग्रहण के समय चारों परिवारों को परियोजना में रोजगार और आवास देने का भरोसा दिलाया गया। इसी बीच गंगा के अविरल प्रवाह को बनाए रखने के आंदोलन के चलते यह सरकार को परियोजना निर्माण रोकना पड़ा। तब से जल विद्युत निगम ने प्रभावित परिवारों को भी भुला दिया। वर्ष 2010 में शासन के निर्देशों पर स्थानीय प्रशासन ने इन लोगों की सुध ली और उन्हें मनेरी कालोनी में आवास उपलब्ध कराए। अब पूरी तरह भूमिहीन हो चुके इन चारों परिवारों के पास आजीविका के साधन भी नहीं हैं। शासन प्रशासन और जल विद्युत निगम से कई बार गुहार लगाने के बावजूद कोई इनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। प्रभावितों का कहना है कि भूमिहीन होने से रोजगार की दिक्कत हो गई है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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