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जनपद में विदेशी पर्यटकों को जरूरत के अनुसार सुविधाएं न मिलने से उनकी आमद घटने लगी है, इससे सरकार की पर्यटन नीति पर प्रश्नचिह्न लगना स्वाभाविक है।
उच्च व मध्य हिमालय में स्थित कई पर्यटन स्थलों के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने देशी ही नहीं, विदेशी पर्यटक भी आते हैं, लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि पर्यटकों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। जिले में तुंगनाथ -चोपता तीन किमी, सारी-गौण्डार-मद्महेश्वर, त्रिजुगीनारायण-पंवालीकांठा-बूढ़ाकेदार आदि ट्रैकिंग रूटों पर प्रतिवर्ष हजारों देशी विदेशी पर्यटक आते हैं। कई सुंदर बुग्याल भी इन ट्रैक रूटों में पड़ते हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
झरने, रंग-बिरंगे फूल, दुर्लभ जड़ी बूटियों के साथ आसमान छूती पर्वत श्रृंखलाएं भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षो से यहां ट्रैकिंग के प्रति पर्यटकों का रुझान घटता जा रहा है। ऐसे में सरकार की पर्यटन के बढ़ावा देने की नीति पर सवाल उठना स्वाभाविक है। वन विभाग ने भी अप्रैल 2010 से पर्यटकों से लिए शुल्क में बढ़ोतरी की। देशी पर्यटकों से जहां पहले 50 रुपये लिए जाते थे, अब 150 रुपये लिए जाते हैं, जबकि विदेशी पर्यटकों के शुल्क में छह गुना बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा टै्रक रूटों पर रैन सेंटर, पेयजल, विद्युत, संचार, शौचालय के साथ जरूरी वस्तुओं का भी अभाव होने से इन रूटों पर विदेशी पर्यटक आने से कतरा रहे हैं। पिछले छह वर्षो के आंकड़ों पर गौर करे तो 6388 देशी व 2178 विदेशी पर्यटक ही यहां टै्रकिंग के लिए पहुंचे। इनसे 757125 रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
वर्ष देशी विदेशी राजस्व
2005-06 880 249 156920
2006-07 796 280 176950
2007-08 1098 649 91015
2008-09 1131 388 99970
2009-10 1615 348 99970
2010-11 868 264 106700
अधिकारियों का तर्क
पर्यटन को बढ़ावा देने तथा ट्रैक रूटों के विकास के लिए लगातार पर्यटन विभाग प्रयास कर रहा है। आने वाले समय में रूटों के विकसित होने से अधिक से अधिक संख्या में विदेशी पर्यटक यहां आएंगे, ऐसी संभावना है। सीमा नौटियाल
प्रभारी जिला पर्यटन अधिकारी, रुद्रप्रया
jagran.yahoo.com se sabhar
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