उत्तराखंड राज्य में बरसात के दौरान भूस्खलन, बाढ़ व भूकटाव जैसी परेशानियों से अक्सर ग्रामीणों को
दो चार होना पड़ता है। लेकिन समय के साथ साथ अब यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। बरसात के दौरान प्रदेश के कई गाँव में खतरा मंडराने लगता है। ऐसा ही कुछ हाल है कुमाऊं के उन 170 गांवों का जहाँ बरसात शुरु होते तबाही के आसार बन जाते हैं।
खतरे के मुहाने पर बसे इन गांवों के लिए बरसात किसी खौफ से कम नहीं है। ये वही इलाके हैं जो हर साल भू-स्खलन, बाढ़ व भू-कटाव की विभीषिका झेलते आ रहे हैं। ऐसे में बाढ़ सुरक्षा व आपदा प्रबंधन के काम चलाओ इंतजामों के बीच मूसलाधार वर्षा में ग्रामीण खौफ के साए में जी रहे हैं।
बाढ़ व भूकटाव की दृष्टि से जहां तक भाबर का सवाल है, पूरा गौलापार क्षेत्र, शांतिपुरी, बिंदूखत्ता व कोटखर्रा का इलाका गौला नदी के मुहाने पर बसा है।
यहां बाढ़ हर साल कहर बरपाती है। कोसी नदी से भरतपुरी, पंपापुरी, चुकुम मुहान, कुनखेत, बेतालघाट व ऊधम सिंह नगर का जोगीपुरा भी बेहद संवेदनशील है। इधर निहाल नदी का पानी नैनीताल जिले के ढापल गांव में तांडव मचाता हुआ हरिपुराव बौर जलाशय में मिलता है। बौर नदी का पानी कालाढूंगी बंदोबस्ती में हलचल मचाते हुए बौर में पहुंचता है। इसी तरह ढैला नदी नैनीताल जिले के ढैला गांव व ऊधम सिंह नगर के नवलपुर आदि गांवों में कहर ढाता है।
फीका नदी में आने वाला उफान जसपुर क्षेत्र को उजाड़ता है, बैगुल नदी सितारगंज व झाली नंबर नौ इलाके को हर साल की तरह इस बार भी अपना निशाना बना सकती है। देवहा नदी नानक सागर बांध के निचले हिस्से में बस गांवों को प्रभावित करने के साथ ही मोहम्मदपुर और मझगमी क्षेत्र में जबरदस्त तबाही मचाती है। कामिनी नदी ऊधम सिंह नगर के दिया गांव समेत कई प्रमुख मार्गो के लिए खतरनाक साबित होती है।
यही स्थिति पहाड़ की है। कौसानी से निकलने वाली कोसी नदी सोमेश्वर व कनौदा के आसपास जबरदस्त भू-कटाव करते हुए गुजरती है तो रामगंगा का पानी चौखुटिया, मासी, भिकियासैड़ और मारचूला तक कटाव करता है। सरयू नदी बागेश्वर जिले के कपकोट को निशाना बनाती है तो गोमती नदी में आने वाले उफान से बैजनाथ क्षेत्र में कटाव होता है। गोरी गंगा के निशाने पर पिथौरागढ़ का मदकोट इलाका रहता है।
नैनीताल-ऊधमसिंहनगर क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता डीसी सिंह और अल्मोड़ा परिक्षेत्र के अधीक्षण अभियंता वीके पंत का कहना हैं की, पूरे कुमाऊं में करीब 170 प्रभावित इलाके हैं। जिनमें नैनीताल व ऊधमसिंहनगर क्षेत्र में सर्वाधिक करीब सवा सौ गांव हैं।
अधिकारियो के मुताबिक प्रभावित इलाकों में बाढ़ सुरक्षा योजनाएं काफी पहले तैयार कर भेज दी गई थीं। पर अधिकांश योजनाएं मंजूरी न मिलने से क्रियान्वित नहीं हो सकी। नतीजतन प्रभावित क्षेत्रों को बचाने के लिए विभाग वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर रहा है।
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