http://garhwalbati.blogspot.com
बीते सोमवार को ब्रह्मा मुहूर्त में विधि विधान के साथ चतुर्थ केदारों में भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल तक के लिए बंद कर दिए गए। पौराणिक परंपरा के अनुसार शीतकाल में भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली की पूजा गोपेश्वर स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में होगी।
बीते सोमवार को ब्रह्मा मुहूर्त में विधि विधान के साथ चतुर्थ केदारों में भगवान रुद्रनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल तक के लिए बंद कर दिए गए। पौराणिक परंपरा के अनुसार शीतकाल में भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली की पूजा गोपेश्वर स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में होगी।
समुद्रतल से 10780 फीट की ऊंचाई पर स्थित भगवान रूद्रनाथ को चतुर्थ केदार के रूप में पूजा जाता है, जहां भगवान शिव एक गुफा के अन्दर ध्यान मुद्रा में विराजमान है। इसके अलावा गुफा में गणपति तथा गौरी शंकर की शिला मूर्तियां भी हैं। ग्रीष्मकाल में इसी गुफा रूपी मंदिर में श्रद्धालु भगवान रुद्रनाथ जी की पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि रुद्रनाथ तीर्थ में गोत्र हत्या के पाप से मुक्त होने के निमित पिण्डदान तथा तर्पण किया जाता है। इस मंदिर में भगवान रुद्रनाथ विष्णु रूप में विराजमान हैं इसलिये मूर्ति को स्पर्श करने का अधिकार मात्र पुजारी को ही है।
सोमवार को पूरे विधि विधान के साथ मंदिर के पुजारी जर्नादन प्रसाद तिवाड़ी, भगवती प्रसाद भटट ने वर्ष की अंतिम पूजा की तथा शीतकाल के लिये मंदिर के कपाट बंद कर दिये। बाद में गाजे-बाजे के साथ भगवान रुद्रनाथ की उत्सव डोली को लेकर श्रद्धालु मध्य हिमालय के बीच से देर सांय पनार नामक स्थान पहुंचे, जहां उत्सव डोली की लोगों ने पंरपरा के अनुसार पूजा की। सोमवार को पनार में रहने के पश्चात कल (आज) भगवान की डोली ग्वाड, सगर, गंगोल गांव से होकर सकलेश्वर मंदिर में पहुंचेगी। बुधवार को भगवान रूद्रनाथ की डोली गोपेश्वर स्थित प्राचीन गोपीनाथ मंदिर में विराजमान होगी। यही शीतकाल के दौरान अब श्रद्वालु भगवान रुद्रनाथ के उत्सव डोली की पूजा अर्चना करेंगे।
अबकी बार इनके ऊपर वाले घर भी जाना है। नीचे वाले घर गोपेश्वर तो मैं जा चुका हूँ।
ReplyDelete