हरिद्वार। जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश हो, तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे 'पुण्य का योग' कहा गया है, क्योंकि इस मौके पर गंगा में स्नान करने से समस्त पाप एवं संताप कट जाते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि माघ पूर्णिमा का स्नान सूर्य एवं चंद्रमा के दोषों से मुक्ति दिलाता है। फिर इस बार तो यह स्नान कुंभपर्व में पड़ रहा है, जिसे मन एवं आत्मा को शुद्ध करने वाला माना गया है।
सनातनी परंपरा में माघ मास का विशिष्ट महात्म्य है। देखा जाए तो संयम का महीना है यह। इस महीने घोर तामसी प्रवृत्ति के लोग भीठेठ सात्विक नजर आने लगते हैं। दरअसल सूर्य के मकरस्थ होते ही प्रकृति में बदलावों की शुरुआत भी हो जाती है। डालियों पर कोंपले फूटने लगती हैं और चारों दिशाओं में गूंजने लगता है पक्षियों का कलरव। कहने का मतलब प्रकृति नवसृजन के लिए तैयार हो उठती है और प्राणिमात्र में होने लगता है 'नवजीवन' का संचार। इसीलिए ऋषि-मुनियों ने माघ में मांस भक्षण को निषिद्ध किया है। प्रयाग में इस अवधि को 'कल्पवास' में बिताने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका विश्राम माघी पूर्णिमा स्नान के साथ होता है। 'ब्रह्मवैवर्तपुराण' में उल्लेख है कि माघी पूर्णिमा पर स्वयं भगवान नारायण गंगाजल में निवास करते हैं। इस पावन घड़ी में कोई गंगाजल का स्पर्शमात्र भी कर दे तो उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है। आचार्य डा. संतोष खंडूड़ी कहते हैं कि इस बार माघी स्नान के कुंभ पर्व में पड़ने से उसका महात्म्य कई गुना बढ़ गया है। पुराणों के अनुसार बारह साल के अंतराल में माघी स्नान का फल ऐसा हो जाता है, जैसे एक लाख वाजपेय स्नान करने का है। डा. खंडूड़ी कहते हैं कि शुक्र-शनि पुष्य नक्षत्र में पूर्णिमा के पड़ने से 30 जनवरी को 'सर्वार्थ सिद्धि' का योग बन रहा है। ऐसे में गंगा स्नान करने से सहस्त्रों यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। गुरु के कुंभ राशि में विराजमान होने के कारण मन एवं आत्मा को शांति प्रदान करने वाला स्नान भी है यह। ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपुरी कहते हैं कि कुंभ व मीन लग्न में सूर्य होने के कारण यह स्नान धर्म एवं कामनाओं की सिद्धि देने वाला भी है। महत्वपूर्ण बात यह कि ऐसे समय में गंगा को शुद्ध एवं पवित्र रखने के विचार मात्र से ही कई जन्म धन्य एवं पवित्र हो जाते हैं।
कुंभ लग्न में श्रेयस्कर होगा स्नान
हरिद्वार: माघी पूर्णिमा का पर्व 30 जनवरी को पड़ रहा है, लेकिन 29 जनवरी को अपराह्न तीन बजकर 11 मिनट से यह आरंभ हो जाएगा और शनिवार 11 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। हालांकि गंगा स्नान इस अवधि में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन शनिवार को कुंभ लग्न में प्रात: काल स्नान करना श्रेयस्कर होगा। यह स्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला माना गया है।
क्षीर सागर का रूप हैं गंगाजी
हरिद्वार: माघ पूर्णिमा को पृथ्वी का दुर्लभ दिन माना गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान नारायण क्षीर सागर में विराजते हैं और पृथ्वी पर गंगाजी क्षीर सागर का ही रूप हैं। इसलिए इस पावन पर्व पर 'ॐ नम: भगवते वासुदेवाय' का जाप करते हुए स्नान-दान का पुण्य अर्जित करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati