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प्रदेश के हजारों शिक्षकों व कर्मियों को अब वेतन का घाटा नहीं उठाना पड़ेगा। शासन ने 20 जुलाई 2010 के उस शासनादेश को निरस्त कर दिया। जिससे 17 अक्तूबर 2008 के बाद नियुक्त शिक्षकों व कर्मियों को वेतन में 6500 रुपये तक कम मिल रहा था।
छठे वेतनमान के बाद केंद्र सरकार के आदेश पर शिक्षक व कर्मचारियों को ग्रेड-पे के आधार पर वेतन देने के निर्देश जारी हुए थे, लेकिन इसमें वेतन निर्धारण की कट ऑफ डेट का उल्लेख नहीं था। इसको लेकर वित्त विभाग ने जीओ जारी किया कि एक जनवरी 2006 से 17 अक्तूबर 2008 के बीच नियुक्त कर्मियों को ग्रेड-पे के आधार पर वेतन दिया जाएगा, लेकिन 18 अक्तूबर व इसके बाद नियुक्त कार्मिकों को वेतनबैंड न्यूनतम पर ग्रेड-पे जोड़कर दिए जाने के आदेश हुए। जिससे बाद में नियुक्त हुए लगभग पांच हजार शिक्षक व दूसरे कर्मचारियों को 4000 से लेकर 6500 रुपये तक कम वेतन मिल रहा था। इसके विरोध में राजकीय शिक्षक संघ ने शासन से लगातार शिकायत की थी। अब वित्त सचिव राधा रतूड़ी ने वेतन में 20 जुलाई 2008 के जीओ को निरस्त किया। उत्तराखंड शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष महेश डोबरियाल ने कहा कि संगठन का संघर्ष रंग लाया है। माध्यमिक शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप डबराल, राजकीय शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री रमेश चंद्र पैन्यूली ने शासन के फैसले को राहत भरा बताया।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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