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Saturday, April 9, 2011

वनों के संरक्षण और संव‌र्द्धन पर दिया बल

http://garhwalbati.blogspot.com
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रौढ़ सतत् शिक्षा एवं प्रसार विभाग के तत्वावधान में पर्यावरण एवं वन विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने वनों को ग्रामीण समाज की महत्वपूर्ण आवश्यकता बताते इनके संरक्षण एवं संव‌र्द्धन पर बल दिया।
सतत् शिक्षा केंद्र ओजली में आयोजित गोष्ठी को गढ़वाल वन प्रभाग के प्रतिनिधि के रुप में संबोधित करते लोक कलाकार घनानंद गगोडिया ने कहा कि वनों की सुरक्षा एवं विकास के बिना पहाड़ों में स्वच्छ और खुशहाल जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का जंगलों से नजदीकी संबंध है। जंगलों के अंधाधुंध विनाश के कारण मनुष्य धीरे-धीरे वनों से दूर हो रहा है। यही कारण है कि गांवों में चारे, पानी, ईंधन की कमी और भूस्खलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।

प्रौढ़ सतत शिक्षा केंद्र के विभागाध्यक्ष प्रो. एसएस रावत ने कहा कि पिछले पचास वर्षो में वनों का सबसे अधिक विनाश हुआ है। विकास की बलि चढ़ने के कारण पर्यावरण पर भी इसका असर देखा जा सकता है। उन्होंने ग्रामीणों से पौधारोपण और वनों के संरक्षण की अपील की। तक्षशिला अकादमी के निदेशक नवीन प्रकाश नौटियाल ने ग्रामीण युवाओं से पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में वनों से संबंधित कई तरह के रोजगार युवाओं के लिए मौजूद हैं। ग्राम प्रधान कुसमा देवी ने वनों के संरक्षण में महिलाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। कार्यक्रम का संयोजन रामकिशन पांडेय और संचालन डॉ. राकेश भंट्ट ने किया। कार्यक्रम में महिला मंगल दल, युवक मंगल दल, पंचायत सदस्यों समेत ग्रामीण मौजूद रहे।
 in.jagran.yahoo.com se sabhar

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