देहरादून: सरकार ने राज्य के बेरोजगारों और युवाओं की मुराद पूरी कर दी। विद्यालयी शिक्षा में सहायक अध्यापकों और प्रवक्ता पदों पर सीधी भर्ती में राज्य के अभ्यर्थी ही नियुक्ति पाएंगे। इसमें पेश आने वाली अड़चन को दूर कर उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद के विनियम में संशोधन किया गया है।
प्रदेश के सबसे बड़े महकमे शिक्षा में रोजगार के अवसर अन्य महकमों की तुलना में काफी ज्यादा हैं। समूह-ग के पदों में भर्ती में राज्य के युवाओं को वरीयता देने और इसके लिए स्थायी निवास प्रमाण पत्र के साथ ही स्थानीय सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकरण को अनिवार्य किया जा चुका है। शिक्षा महकमे में इस व्यवस्था को लागू करने में मौजूदा विनियम आड़े आ रहे थे। प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ ही शिक्षकों के संगठन राज्य के युवाओं को ही शिक्षकों की भर्ती में वरीयता देने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने यह मांग पूरी कर दी। इसके लिए बोर्ड के विनियम-2009 में संशोधन कर विद्यालयी शिक्षा परिषद विनियम 2011 लागू किया गया है।
उप्र की तर्ज पर लागू विनियम में अभी तक इस बाबत प्रावधान नहीं किया गया था। अब मूल विनियम के उप नियमों में यह प्रावधान शामिल किया गया है। माध्यमिक शिक्षा अपर सचिव ऊषा शुक्ला ने इस बाबत शासनादेश जारी किया है। इसके मुताबिक समूह-ग के सहायक अध्यापक एवं प्रवक्ता पदों पर सीधी भर्ती के लिए वही अभ्यर्थी पात्र होंगे, जिसका नाम राज्य के सेवायोजन कार्यालय में पंजीकृत हो और अभ्यर्थी के लिए राज्य की परंपराओं-रीतियों का ज्ञान और प्रदेश में विद्यमान विशिष्ट परिस्थितियों में नियुक्ति के लिए जरूरी होगा। इसमें मान्यताप्राप्त संस्थाओं में नियमित रूप से कार्यरत शिक्षकों के लिए सीधी भर्ती के आवेदन में सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण आवश्यक नहीं होगा। सरकार हाल ही में प्रवक्ताओं, एलटी शिक्षकों के रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति की घोषणा कर चुकी है। प्राइमरी शिक्षकों के रिक्त 2200 पदों पर भर्ती में भी उक्त प्रावधान अनिवार्य किया गया है। अध्यापक पात्रता परीक्षा के शासनादेश में भी यह प्रावधान जोड़ा जा चुका है।
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