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कर्णप्रयाग: चैत्र शुक्लपक्ष यानि हिन्दू नववर्ष की पूर्व संध्या पर नगर क्षेत्र  कर्णप्रयाग वर्ष प्रतिपदा समिति की ओर से रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों  का आयोजन किया गया। इसमें देर सांय तक दर्शक लुत्फ उठाते रहे। 
इस मौके पर मुख्य अतिथि स्वामी अभयानंद सरस्वती ने कहा कि हिन्दू धर्म  सनातन है और हमारे वेद मूल धर्म ग्रंथ हैं। आदिकाल से सनातन धर्म का इतिहास  आज पश्चिम देशों में शोध का विषय बना है, इसलिए हमें अपनी सांस्कृतिक  परंपराओं का निर्वहन कर धर्म की रक्षा करनी चाहिए। इससे पूर्व स्थानीय  स्कूली छात्रों व महिलाओं ने पेट्रोल पंप परिसर से मुख्य बाजार तक कलश  यात्रा निकाली और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ मुख्य अतिथि को मंच तक  पहुंचाया। इस मौके पर आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक संध्या में पिंडरघाटी  मृत्युंजय कला संस्था के कलाकारों ने लोकगीत-लोकनृत्य, नाटक व कथकली नृत्य  प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर विवश किया।  कला मंच के चंद्रसिंह नेगी,  रविन्द्र, प्रदीप, सुरेन्द्र कमांडर, दिगपाल, देवेन्द्र, रघुवीर, गीता,  किरण, नीलू की ओर से प्रस्तुत कैलाश पर रैंदा बाबा शंभू भोलेनाथ...पर दर्शक  खूब थिरके। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिलाध्यक्ष  चिंतामणि सेमवाल, मुूरलीधर चंदोला, जर्नादन चमोला, अनिल खंडरी, समिति  संयोजक राकेश मैठाणी, अनिल खंडूरी, शारदा तिवारी, दिनेश उनियाल, बीपी  थपलियाल, चंडी प्रसाद, बीपी बेंजवाल आदि ने भी विचार रखे। 
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