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Wednesday, April 6, 2011

फूली बुरांश जांदू मैता अब ऐगे रंगीलू चैता

http://garhwalbati.blogspot.com
प्रसिद्ध जागर गायिका बसंती बिष्ट व उनके साथियों ने पारंपरिक गढ़वाली व कुमांऊनी गीतों की यादगार प्रस्तुति के साथ नव संवत्सर का स्वागत किया। देर रात तक चले गीत संगीत के दौर का स्थानीय कला प्रेमियों ने भरपूर लुत्फ लिया।
नव संवत्सर 2068 के आगमन पर यूनिवर्सिटी यूथ क्लब ने ऐतिहासिक गोला पार्क में संगीत संध्या का आयोजन किया। प्रसिद्ध जागर गायिका बसंती बिष्ट ने नंदा देवी के जागर के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने गढ़वाल और कुमांऊ में नव वर्ष और चैत के आगमन पर गाए जाने वाले पारंपरिक लोक गीतों की प्रस्तुति देकर वाह-वाही लूटी। उन्होंने 'लगी बडूली मी जांदू मैता, अब ऐगे रंगीलू चैता', 'हिट सुआ कौथिग, तेरी झबरी बजी छमाछम', 'कैलाश मां होला हेमवंत राजा' और 'पंचनाम देवा' समेत विभिन्न गीतों को अपना स्वर दिया। डोंर, थकुली और हुड़के की धुनों पर दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देर रात तक झूमते रहे। साथी कलालाकर संजय पांडे ने 'हे जीत रंचना, असंति का पारा' व 'चल फुल्यारी फूलों का' और अमित सागर ने 'जै दुर्गे, दुर्गा भवानी' और 'पंडो खेला पासौं' जैसे गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया। रमेश कुमार मिश्रा ने बांसुरी, शांतिभूषण ने तबले व ढोलक, आनंद लाल शाह ने हुड़का और जीत सिंह बिष्ट ने थाली पर संगत दी। कार्यक्रम के आयोजन में ईशान डोभाल, तरुणा रावत, सुधीर जोशी, विभोर बहुगुणा, महेंद्र पंवार, यतिंद्र बहुगुणा समेत क्लब के अन्य सदस्यों ने योगदान दिया।
 in.jagran.yahoo.com se sabhar

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