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यह घटना राजधानी के वसंत विहार थाना क्षेत्रांतर्गत पॉश इलाके इंजीनियर्स एनक्लेव की है। बीते सोमवार एक कलयुगी मां-बाप ने अपने कलेजे के टुकड़ों को लावारिस हालत में पार्क में छोड़ दिया।
यह घटना राजधानी के वसंत विहार थाना क्षेत्रांतर्गत पॉश इलाके इंजीनियर्स एनक्लेव की है। बीते सोमवार एक कलयुगी मां-बाप ने अपने कलेजे के टुकड़ों को लावारिस हालत में पार्क में छोड़ दिया।
मासूम बच्चों के हाथ में बिस्कुट व नमकीन के पैकेट थमा कर थोड़ी देर में आने का झांसा देकर वहां से भाग गए। उन्हें रोता-बिलखता देख किसी ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने इन बेसहारा को सहारा दिया है। देर रात तक बच्चे चौकी में गुमसुम बैठे थे और मम्मी-पापा के आने का इंतजार करते रहे।
यह किसी फिल्म का दृश्य नहीं बल्कि एक सच्ची हृदयविदारक घटना है। दरअसल, बीती शाम करीब पांच बजे किसी की नजर पड़ी कि पानी की टंकी के समीप पार्क में दो मासूम बच्चे बिलख रहे हैं। वे दोनों एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे और मम्मी-पापा कहकर रो रहे थे।
उक्त शख्स ने पुलिस को फोन कर सूचना दी। सूचना पर इंदिरानगर चौकी पुलिस वहां पहुंची व आसपास बच्चों के संबंध में पूछताछ की, लेकिन सभी ने भी बच्चों को पहचानने से इनकार कर दिया। बच्चे गोर्खाली मूल के लग रहे थे। जब कोई नहीं मिला, तो उन्हें चौकी लाया गया।
यहां पहले तो काफी देर बच्चे बिलखते रहे, लेकिन पुलिस ने प्यार से पूछताछ की तो बच्ची ने अपना नाम पार्वती बताया। उसकी उम्र लगभग पांच साल है। पार्वती ने बताया कि संग में उसका भाई सूरज है, जो लगभग तीन साल का है। उसने अपने पापा का नाम राहुल थापा और मां का नाम शीला देवी बताया इसके अलावा पार्वती को कुछ नहीं पता। उसे अपने घर का पता तक मालूम नहीं। उसने बताया कि वह घर के पास ही आंगनवाड़ी में पढ़ते हैं। उसने बताया कि पापा-मम्मी उन्हें पार्क में घुमाने लाए थे। मम्मी ने बिस्कुट और नमकीन दी और कहा कि 'थोड़ी देर में आ जाएंगे।' इसके बाद ना मां आई और ना ही पिता।
पार्वती ने बताया कि वह घर से काफी दूर पैदल चले। इसके बाद वे नीले रंग की बस में बैठे और कुछ देर बाद उतर गए। वहां से पैदल पार्क में आए। पुलिस को आशंका है कि बस संभवत: सिटी बस है और आरोपी परिजन जीएमएस रोड पर उतरे होंगे। अब पुलिस जीएमएस रोड से होकर जाने वाली सभी सिटी बसों के चालक-परिचालकों से पूछताछ की कर रही है,ताकि बच्चों के चढ़ने के स्थान का पता चल सके।
पार्वती अपने मासूम भाई के सिर पर हाथ फेरकर दुलार दे रही थी। चौकी का स्टॉफ बच्चों के लिए कभी टॉफी ला रहा था तो कभी चाकलेट। बच्चों के लिए खाना और दूध भी लाया गया। इसके बाद वह नार्मल हुए और कुछ देर बाद सो गए। इस बारे में सभी थानों को सूचित कर दिया गया है।
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