गोपेश्वर: सीमांत चमोली जिले के 94 उच्चीकृत जूनियर हाईस्कूलों में तैनात सैकड़ों शिक्षक पशोपेश की स्थिति में हैं। दरअसल, इन जूनियर हाईस्कूलों के उच्चीकरण के बाद शासन स्तर पर यहां तैनात शिक्षकों को अन्यत्र समायोजित करने की प्रक्रिया गतिमान है। शिक्षक इस बात को लेकर आंदोलित हैं कि साजिश के तहत उन्हें सरकार की ओर से दूसरे विद्यालयों में भेजा जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि इस बारे में न्यायालय ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाया है। बावजूद इसके सरकार उन्हें दूसरे विद्यालयों में भेजने की कोशिश कर रही है।
गौरतलब है कि चमोली जिले में 94 जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत कर हाईस्कूल बनाया है। इन जूनियर हाईस्कूलों में वर्तमान समय में 150 से भी अधिक शिक्षक अध्यापक कार्यरत हैं। शासन की ओर से उच्चीकृत जूनियर हाईस्कूलों से इन अध्यापकों को जिले के अन्य जूनियर हाईस्कूलों में भेजने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दे दिया है। इससे शिक्षक परेशान हैं। बताते चलें कि चमोली जिले में भाजपा सरकार के कार्यकाल में 70 जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत कर हाईस्कूल का दर्जा दिया था। इसी तरह कांग्रेस सरकार भी राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत जिले के 24 विद्यालयों को उच्चीकृत कर हाईस्कूल बनाया। भाजपा शासन के दौरान 2009 में जब इन अध्यापकों को अन्यत्र समायोजित करने जा रहे थे तो शिक्षक कोर्ट में चले गए। कोर्ट ने शिक्षकों को यथावत रखने के आदेश दिए थे। अब कांग्रेस सरकार इन शिक्षकों को समायोजित करने के लिए 10 दिसंबर 2012 के शासनादेश जारी कर चुकी है। इसमें स्पष्ट निर्देश हैं कि उच्चीकृत जूनियर हाईस्कूलों के शिक्षकों को अन्यत्र के जूनियर हाईस्कूलों में समायोजित किया जाए। शिक्षक शासन की इस रणनीति से आक्रोशित हैं।
सरकार की ओर से जूनियर हाईस्कूलों को उच्चीकृत करने का हम स्वागत करते हैं। इन स्कूलों में तैनात शिक्षकों को उन्हीं विद्यालयों में यथावत रखा जाए और जूनियर हाईस्कूलों में रिक्त पड़े अध्यापकों के पदों पर प्राथमिक सहायक अध्यापकों की पदोन्नति की जाए। न्यायालय ने भी हमारे पक्ष में फैसला सुनाते हुए इन शिक्षकों को यथावत रखने के आदेश दिए गए हैं। बावजूद सरकार इन अध्यापकों को अन्यत्र समायोजित करती है तो इसका खामियाजा सरकार को ही भुगतना पड़ेगा
jagran.com se sabhar











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