कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों की माली हालत बदलने के लिए मशरूम उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास कर रहा है। केन्द्र स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से किसानों को प्रेरित करने के लिए गांवों में मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण चला रहा है।
कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डा. एएस जीना ने बताया कि मशरूम उत्पादन पहाड़ के किसानों की माली हालत में बड़ा बदलाव ला सकता है। इस क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा गांवों में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। किसानों को उत्पादन की नवीनतम तकनीक सिखाई जा रही है। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में बटन, ढिंगरी और दूधिया प्रजाति के मशरूम उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। इसके लिए 14 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की जरूरत पड़ती है। जो पर्वतीय क्षेत्रों का औसत तापमान है।
मशरूम का उत्पादन गेहूं के भूसे, लकड़ी के बूरादे, धान के पुआल में हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार मशरूम पौष्टिक होता है। इसमें विटामिन सी, बी, कैल्शियम, फास्पोरस, पोटेशियम, कार्बोहाइड्रेट आदि पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। घर पर इसका उत्पादन करने में 15-20 रुपए प्रति किलो तक की लागत आती है। बाजार में इसका मूल्य 70 रूपये किलो तक है। केन्द्र प्रभारी ने बताया कि अब तक कई गांवों में प्रशिक्षण आयोजित किये जा चुके हैं।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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