भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स अफगानिस्तानी सेना के जवानों को प्रशिक्षण देगी.
अफगान आर्मी के साथ होने वाले इस संयुक्त अभ्यास का शेड्यूल अभी जारी नहीं हुआ है, लेकिन गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर में तैयारियां चल रही हैं. दोनों सेनाओं के बीच होने वाले संयुक्त अभ्यास का फायदा वैसे तो दोनों को मिलेगा, लेकिन अफगानिस्तान ने अमरीकी फौजों की वापसी के बाद यह भारत के लिए काफी हितकर होगा.
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी अफगानिस्तान आर्मी के साथ होने वाले संयुक्त अभ्यास की आधिकारिक पुष्टि करने से बच रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सेंटर के किचनर लाइन में अफगान टुकड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. पहले अफगान सैनिकों के नवम्बर में आने की संभावना थी, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम में फेरबदल हुआ है. अभी नई तारीख नहीं मिली है. सेना मुख्यालय से ही निकट भविष्य में इसकी सूचना मिलेगी. गढ़वाल राइफल्स के साथ होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास तीन से चार सप्ताह तक चलने की संभावना है.
बदले कार्यक्रम के अनुसार अब सर्दियों के बाद यानी फरवरी के बाद अफगान सेना के आने की संभावना बतायी जा रही है. आतंकवादियों से जूझ रही भारतीय सेना के साथ यह अभ्यास अफगानिस्तान के लिए काफी फायदेमंद होगा. पहली बार दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास करेंगी. भारतीय सेना को मिलने वाले उच्चकोटि का प्रशिक्षण व सैन्य क्षमताएं अफगानिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. उत्तराखंड की धरती पर कुछ महीने पहले रूसी सेना भी युद्धाभ्यास कर चुकी है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहन चंद्र भंडारी का कहना है कि इसका असली लाभ तब दोनों देशों को मिलेगा जब अमेरिकी फौज स्वदेश वापसी कर लेगी. भारतीय सेना से मिलने वाली सीख उसे अपने देश में आतंकवाद से जूझने में मदद देगी. जनरल भंडारी का कहना है कि अफगानिस्तान सेना की मजबूती भारत के लिए फायदेमंद है.
अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों पर सही तरीके से नियंत्रण नहीं हो पाया तो अमरीकी (नाटो) सेनाओं की वापसी के बाद वे भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में उन पर नियंत्रण के लिए अफगान सेना को मजबूत होना आवश्यक है. हालांकि भारत अफगानिस्तान को सड़क, शिक्षा व पुलिस सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है, लेकिन फौजी सहयोग की रूपरेखा पहली बार बन रही है.
samaylive.com se sabhar
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी अफगानिस्तान आर्मी के साथ होने वाले संयुक्त अभ्यास की आधिकारिक पुष्टि करने से बच रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सेंटर के किचनर लाइन में अफगान टुकड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. पहले अफगान सैनिकों के नवम्बर में आने की संभावना थी, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम में फेरबदल हुआ है. अभी नई तारीख नहीं मिली है. सेना मुख्यालय से ही निकट भविष्य में इसकी सूचना मिलेगी. गढ़वाल राइफल्स के साथ होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास तीन से चार सप्ताह तक चलने की संभावना है.
बदले कार्यक्रम के अनुसार अब सर्दियों के बाद यानी फरवरी के बाद अफगान सेना के आने की संभावना बतायी जा रही है. आतंकवादियों से जूझ रही भारतीय सेना के साथ यह अभ्यास अफगानिस्तान के लिए काफी फायदेमंद होगा. पहली बार दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास करेंगी. भारतीय सेना को मिलने वाले उच्चकोटि का प्रशिक्षण व सैन्य क्षमताएं अफगानिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. उत्तराखंड की धरती पर कुछ महीने पहले रूसी सेना भी युद्धाभ्यास कर चुकी है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहन चंद्र भंडारी का कहना है कि इसका असली लाभ तब दोनों देशों को मिलेगा जब अमेरिकी फौज स्वदेश वापसी कर लेगी. भारतीय सेना से मिलने वाली सीख उसे अपने देश में आतंकवाद से जूझने में मदद देगी. जनरल भंडारी का कहना है कि अफगानिस्तान सेना की मजबूती भारत के लिए फायदेमंद है.
अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों पर सही तरीके से नियंत्रण नहीं हो पाया तो अमरीकी (नाटो) सेनाओं की वापसी के बाद वे भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में उन पर नियंत्रण के लिए अफगान सेना को मजबूत होना आवश्यक है. हालांकि भारत अफगानिस्तान को सड़क, शिक्षा व पुलिस सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है, लेकिन फौजी सहयोग की रूपरेखा पहली बार बन रही है.
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जय हो !!
ReplyDeleteVAAH ADABHUT
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