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तेरह सौ वर्ग किमी के दायरे में फैला जिम कार्बेट नेशनल पार्क का खूबसूरत संसार। बाघों की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ और हिरनों के कुलांचे। बाघों के लिए दुनियाभर में विख्यात यह पार्क सैलानियों की पहली पसंद में शुमार है। अब इस पार्क के फ्लोरा एवं फौना का दीदार जमीन ही नहीं, बल्कि आसमान से भी होगा। यह संभव हो सकेगा, हेलीकॉप्टर सेवा से। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। राज्यभर में हेली पर्यटन के ढांचे को विकसित करने को चलाई जाने वाली मुहिम का यह भी एक हिस्सा रहेगा।
हेली पर्यटन के विकास में प्रदेश इस बार एक बड़ा डग भरने वाला है और कार्बेट पार्क बना है इसका बड़ा जरिया। बीते सालों में प्रदेश के नागरिक उड्डयन विभाग ने खासतौर पर धार्मिक स्थलों को केंद्र में रखा। इसका सुफल यह हुआ कि गंगोत्री, जमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम व हेमकुंड साहिब जैसे पवित्र स्थलों तक लोगों का उड़नखटोले पर बैठकर पहुंचना संभव हो गया। खास बात यह कि सीधे देहरादून से इन स्थलों के लिए हेलीकाप्टर सेवा भी शुरू की गई। गौचर, अगस्त्यमुनि और फाटा से तो सेवा पहले से ही दी जाती रही है। देहरादून से सेवा शुरू होने से लोगों को लंबे पहाड़ी सफर से भी मुक्ति मिल गई। यह अलग बात है कि सिर्फ चार कंपनियां ही यह सेवाएं दे पाई।
इस बार का पर्यटन सीजन हेली पर्यटन के हिसाब से पिछले सालों की अपेक्षा बेहद मुफीद साबित होने जा रहा है। नागरिक उड्डयन विभाग ने धार्मिक स्थलों के बाद अब पर्यटक स्थलों को भी अपने दायरे में लेने की पहल शुरू की है। इस क्रम में सबसे पहले विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क को शामिल किया जा रहा है। कार्बेट तक हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने को कवायद शुरू कर दी गई है। अनेक कंपनियों ने इसमें रुचि दिखाई और पूर्व में सेवाएं न दे पाई कंपनियों ने भी सेवा देने को आवेदन किया है।
अपर सचिव विनोद शर्मा के मुताबिक इस सेवा से वन्यजीव प्रेमियों की मन की मुराद पूरी हो जाएगी। जिम कार्बेट पार्क के अलावा भी अन्य पर्यटक स्थलों के लिए हेलीकाप्टर सेवा शुरू करने की भी पूरी संभावना है|
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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