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केदार घाटी में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन व्यवसाय की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से आयोजित कार्यशाला में दोनों को एक दूसरे से जोड़ने पर बल दिया गया।
गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण एवं विकास संस्थान की श्रीनगर इकाई के तत्वावधान में ग्रामीण तकनीकी केंद्र त्रियुगीनारायण में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष चंडी प्रसाद भंट्ट ने कहा कि साहसिक और ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के वानिकी विभाग के प्रो. वीपी चमोला ने कहा कि पर्यटन का पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। राज्य में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और उसका सबसे बड़ा कारण यहां का जैव विविधता से भरा-पूरा पर्यावरण है। ऐसे में अगर पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है, तो पर्यटन को भी नुकसान होना स्वाभाविक है। हरगोविंद गैरोला ने कहा कि सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़कर पर्यटन में आजीविका के साधन बढ़ाए जा सकते हैं। पक्षी विशेषज्ञ यशपाल नेगी ने कहा कि क्षेत्र में देश-विदेश की महत्वपूर्ण पक्षियों का प्रवास है। हजारों की संख्या में पर्यटक प्रत्येक वर्ष इन पक्षियों को देखने और अध्ययन के लिए आते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के डा. एलएस रावत ने कहा कि पर्यटन व्यवसाय आज राज्य का मुख्य व्यवसाय बन चुका है। शोधार्थी अभय बहुगुणा ने स्लाइड प्रेजेंटेशन के माध्यम से केदार घाटी में पर्यटन एवं विकास के अवसरों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन डा. विक्रम सिंह नेगी ने किया। इस अवसर पर ग्राम प्रधान कृष्णा देवी, जिपं सदस्य उर्मिला देवी, दलवीर फरस्वाण, प्रमोद नौटियाल, परशुराम गैरोला समेत भारी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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