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सैंया भये कोतवाल, फिर डर काहे का, इसी तर्ज पर गोविन्द पशु विहार में हरे पेड़ों का कटान हो रहा है। पार्क प्रशासन ने अपनी आवासीय कालोनी के निर्माण के लिये वन भूमि पर बिना अनुमति के अवैध निर्माण करने के साथ ही आधा दर्जन हरे चीड़ के पेड़ काट भी डाले, जबकि दर्जन भर पेड़ों की जडे़ं खोखली होने से गिरने की कगार पर है। हालात इस कदर है कि ग्रामीणों को विभाग द्वारा जहां हक -हकूकों के तहत मिलने वाले सूखे पडे़ पेड़ों को लाने को भी विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है तथा टौंस वन प्रभाग क्षेत्र में वन अधिनियम के चलते सैकड़ों विकास कार्य रूके पडे़ हैं, वहीं वन विभाग की नाक के नीचे गोविंद पशु विहार प्रशासन द्वारा वन अधिनियम को ताक पर रख कर दर्जनों चीड़ के हरे पेड़ों को काटा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि गोविन्द पशु विहार द्वारा पुरोला में टौंस वन प्रभाग के जगंल के बीचों बीच निर्मित कार्यालय के पास ही पशु विहार में10 लाख की लागत से दो आवासीय भवनों का निर्माण कराया जा रहा है, जिसके लिये बगैर अनुमति के चीड़ के हरे पेड़ों को गिराया गया है। उधर, टौंस वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी एकेत्रिपाठी का कहना है कि गोविन्द पशु विहार द्वारा कराये जा रहे भवनों के निर्माण व हरे पेड़ों को काटने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है और ना ही इस संबंध में विभाग से कोई अनुमति ली गयी है। जांच करने के बाद इस पर कार्रवाई की जाएगी, जबकि गोविन्द पशु विहार के उप निदेशक जीएन यादव भवनों के निर्माण को हरे पेड़ कटने की बात से साफ इनकार कर रहे है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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