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Wednesday, June 15, 2011

सीबीसीआइडी करेगी निगमानंद की मौत की जांच

जहाँ एक तरफ कालेधन और भ्रष्टाचार  के  खिलाफ बाबा रामदेव  का अनशन चल रहा था, 
वहीँ दूसरी तरफ गंगा में खनन के खिलाफ स्वामी निगमानंद भी अनशन पर बैठे थे। इस अनशन प्रदर्शन पर एक योगी को जहाँ सरकार की मार मिली वही दुसरे को मिली मौत। गंगा में खनन के खिलाफ अनशन पर बैठे स्वामी निगमानंद की मौत की जांच का कार्य सरकार ने सीबीसीआइडी को सौंपने की घोषणा कर दी है । संत निगमानंद को जहर देने के आरोपों की जांच के लिए हरिद्वार जिला प्रशासन ने पांच सदस्यीय मेडिको लीगल बोर्ड का गठन किया है। यह बोर्ड 10 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। संत निगमानंद की पीएम रिपोर्ट में मृत्यु के कारण स्पष्ट न होने पर बिसरा सुरक्षित रखा गया है। आगरा एफएसएल में इसे जांच के लिए भेजा जा रहा है।
संत निगमानंद के मृत्यु  और इससे उपजे विवाद पर सरकार ने आज सफाई दी। सचिवालय में एक  प्रेस कांफ्रेंस के दौरान  में पर्यटन मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि स्वामी के निधन के मामले में सरकार संवेदना रखती है। उनका आंदोलन गंगा में खनन के खिलाफ था, न कि सरकार के। अनशन समाप्त कराने को लेकर सरकार ने अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी, मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल,  उमाभारती व वह खुद स्वामी से मिले थे। यही नहीं, उनके गुरू शिवानंद का अनशन सरकार ने समाप्त कराया था। उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंतित सरकार ने हरिद्वार, दून अस्पताल व जौलीग्रांट अस्पताल में इलाज के पूरे इंतजाम किए। गंगा में खनन पर प्रतिबंध लगाने के शासनादेश के खिलाफ एक स्थानीय क्रेशर मालिक ने कोर्ट से स्टे लेकर खनन जारी रखा, लेकिन वह कुछ दिनों के लिए था। कौशिक ने स्थानीय प्रशासन के संरक्षण पर तय सीमा के बाद खनन किए जाने की बात को खारिज करते हुए कहा कि गंगा के प्रति सरकार संवेदनशील है और शिकायत मिलने पर हर संभव कार्यवाही की जाती है। संत निगमानंद मामले में तहरीर दिए जाने के बाद कोई कार्यवाही नहीं होने के सवाल पर मदन  कौशिक ने कहा कि इस मामले की जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्यवाही की जाएगी। कौशिक ने कांग्रेस पर मामले के राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए उसे ऐसा नहीं करने की सलाह दी।
उधर, हरिद्वार कार्यालय के मुताबिक जिलाधिकारी डा. आर मीनाक्षीसुंदरम ने बताया कि स्वामी निगमानंद को जहर देने की शिकायत की जांच के लिए जिला प्रशासन ने पांच विशेषज्ञों का मेडिको लीगल बोर्ड बनाया है। यह बोर्ड 10 दिन में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगा। इसी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी। निगमानंद को फोर्स फीडिंग न कराए जाने के सवाल पर जिलाधिकारी ने कहा कि इससे पहले स्वामी दयानंद के अनशन के समय फोर्स फीडिंग कराई गई था। तब मातृ सदन के संतों ने मानावाधिकार आयोग सहित कई जगह शिकायत की थी। इसलिए स्वामी निगमानंद को फोर्स फीडिंग के लिए मातृ सदन के स्वामी शिवानंद से वार्ता की गयी थी, लेकिन उनकी ओर से प्रशासन को कोई संकेत नहीं दिया गया। लिहाजा, प्रशासन ने फोर्स फीडिंग नहीं करायी।
डीएसपी डोईवाला नवनीत भुल्लर ने बताया कि पीएम रिपोर्ट में चिकित्सकों ने तकनीकी तौर पर सेप्टी सीमिया व ब्रेन डिजीज का हवाला देकर बिसरे को सुरक्षित रख लिया है। आगरा एफएसएल में इसे जांच के लिए भेजा जा रहा है। स्वामी शिवानंद सरस्वती द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच एसएसपी हरिद्वार केवल खुराना ने इंस्पेक्टर मंगलौर एमएस नेगी को सौंप दी है।

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