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देहरादून: ड्यूटी के दौरान अफसरों को न जाने कितनी बार सलाम ठोका होगा। सलाम आज भी ठोका, वही हाथ, वही कदम। पर आज जो गौरव महसूस हुआ उस सुखद अनुभूति को शब्दों में बयां करना संभव नहीं। आज कई जवानों का सलाम किसी और के लिए नहीं, बल्कि उस बेटे के लिए था, जिसने अधिकारी बनकर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। सेना के उन जवानों के चेहरों पर आज अलग ही चमक थी, जिनके बेटों ने पिता से दो कदम आगे बढ़कर कमीशन हासिल किया।
दार्जिलिंग निवासी मनीष थापा युवा सैन्य अधिकारी बने तो सबसे अधिक खुशी उनके सूबेदार पिता सीएस थापा हो हुई। आसाम राइफल में सूबेदार श्री थापा की हमेशा से ख्वाहिश थी कि उनका बेटा सेना में अधिकारी बने। शनिवार को उनका सपना साकार हुआ तो हाथ खुद ही बेटे को सलाम करने के लिए उठ गए। केरल के जिशो थॉमस के पिता एमडी थॉमस आर्मी की इंजीनियरिंग सेक्शन में थे। बेटे के लैफ्टिनेंट रैंक हासिल करने से उनका सीना फख्र से चौड़ा हो गया।
अधिकारी बने ग्वालियर के रूपेश उपाध्याय के पिता अर्जुन कुमार उपाध्याय सूबेदार हैं। उनका कहना है कि बेटे ने उनके सपने को पूरा कर दिखाया है।
दार्जिलिंग निवासी मनीष थापा युवा सैन्य अधिकारी बने तो सबसे अधिक खुशी उनके सूबेदार पिता सीएस थापा हो हुई। आसाम राइफल में सूबेदार श्री थापा की हमेशा से ख्वाहिश थी कि उनका बेटा सेना में अधिकारी बने। शनिवार को उनका सपना साकार हुआ तो हाथ खुद ही बेटे को सलाम करने के लिए उठ गए। केरल के जिशो थॉमस के पिता एमडी थॉमस आर्मी की इंजीनियरिंग सेक्शन में थे। बेटे के लैफ्टिनेंट रैंक हासिल करने से उनका सीना फख्र से चौड़ा हो गया।
अधिकारी बने ग्वालियर के रूपेश उपाध्याय के पिता अर्जुन कुमार उपाध्याय सूबेदार हैं। उनका कहना है कि बेटे ने उनके सपने को पूरा कर दिखाया है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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