http://garhwalbati.blogspot.com
देहरादून : कौन कहता है कि सुविधाओं की भूख देश सेवा के जज्बे पर भारी पड़ने लगी है। शनिवार को दीक्षांत परेड के बाद सेना में अफसर बने ऐसे युवाओं की कमी नहीं थी, जिन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आकर्षक पैकेज ठुकराकर देश सेवा का व्रत लिया। दिल्ली के अभिषेक दीवान, दून के गौरव बौड़ाई और जालंधर के सुरजीत को गर्व है कि वे मल्टीनेशनल की बजाए भारतीय सेना के अंग हैं। ऐसा सोचने वाले वे अकेले नहीं, इस सूची में कई और नाम हैं।
लेफ्टिनेंट का तमगा हासिल कर चुके दिल्ली निवासी अभिषेक दीवान दो साल तक एक मल्टी नेशनल कंपनी में बतौर सीनियर आइटी इंजीनियर के पद पर काम कर चुके हैं। वह बताते हैं कि जब भी वह टीवी व अखबारों पर जवानों की वीरता के किस्से पढ़ते तो मन सेना की तरफ खिंचने लगता। आखिरकार उन्होंने मन की सुनी और सेना में शामिल हो गए।
युवा अधिकारी दून के गौरव आनंद बौड़ाई की कहानी भी अलग नहीं है। उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीएससी की। वह कहते हैं निजी कंपनियों से कई ऑफर मिले, लेकिन उन्हें सेना से ज्यादा किसी ने आकर्षित नहीं किया। गौरव खुश हैं कि उनका सपना सच हो गया।
थर्ड जेनरेशन के सुरजीत सिंह जालंधर के रहने वाले हैं। सुरजीत बताते हैं कि बीटेक करने के बाद साथियों ने इंजीनियरिंग सेक्टर में जाने की सलाह दी, लेकिन उनका मन तो देश सेवा की ओर झुका था। फिर क्या था उन्होंने दिल की सुनी, दुनिया की नहीं। आज वह आइएमए से 'कुंदन' बनकर निकले हैं।
लेफ्टिनेंट का तमगा हासिल कर चुके दिल्ली निवासी अभिषेक दीवान दो साल तक एक मल्टी नेशनल कंपनी में बतौर सीनियर आइटी इंजीनियर के पद पर काम कर चुके हैं। वह बताते हैं कि जब भी वह टीवी व अखबारों पर जवानों की वीरता के किस्से पढ़ते तो मन सेना की तरफ खिंचने लगता। आखिरकार उन्होंने मन की सुनी और सेना में शामिल हो गए।
युवा अधिकारी दून के गौरव आनंद बौड़ाई की कहानी भी अलग नहीं है। उन्होंने कंप्यूटर साइंस से बीएससी की। वह कहते हैं निजी कंपनियों से कई ऑफर मिले, लेकिन उन्हें सेना से ज्यादा किसी ने आकर्षित नहीं किया। गौरव खुश हैं कि उनका सपना सच हो गया।
थर्ड जेनरेशन के सुरजीत सिंह जालंधर के रहने वाले हैं। सुरजीत बताते हैं कि बीटेक करने के बाद साथियों ने इंजीनियरिंग सेक्टर में जाने की सलाह दी, लेकिन उनका मन तो देश सेवा की ओर झुका था। फिर क्या था उन्होंने दिल की सुनी, दुनिया की नहीं। आज वह आइएमए से 'कुंदन' बनकर निकले हैं।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
No comments:
Post a Comment
thank for connect to garhwali bati