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Thursday, June 16, 2011

दो मुख्यमंत्री व दो जनरलों के बीच फंसा धुमाकोट विधान सभा

दो मुख्यमंत्री व दो जनरलों के बीच फंसा धुमाकोट विधान सभा ( सुदर्शन सिंह रावत ) उत्तराखंड राज्य बनने के बाद राजनेता भले ही यह चिल्लाते रहें कि राज्य विकास कर रहा है लेकिन वहां के लोग ही जानते हैं कि राज्य में क्या चल रहा है . ताज़ा .उदाहरण धुमाकोट विधान सभा का है जो आज अपने मूलभूत सुविधाओं के लिये भी तरस रहा है. उत्तराखंड राज्य की बहूप्रतिष्ठित धुमाकोट विधान सभा विकास के नाम पर शून्य ही रहा है. इसका मुख्य कारण पहले दो जनरल व अब दो पूर्व व वर्तमान मुख्यमंत्री के बीच में फंसा है.मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, जो आज तक यहाँ झाकने तक नहीं आये वह विकास की क्यों बातें करेंगे, बीजेपी के आपसी क्लेश के कारण लोग मूल भूत सुविधाओं के लिये तरस रहे है. कभी क्षेत्र के निवासियों को अपने क्षेत्र पर गुमान था कि वे मुख्यमंत्री के क्षेत्र के हँ और आज नहीं तो कल इस क्षेत्र का विकास होना ही है . लेकिन लोगो की आँखे तब खुली जब विधान सभा ही नहीं रहा. अब क्षेत्र के स्थानीय लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हँ. क्षेत्र में लगातार खेतो की बंज़र व साथ ही चकबंदी न होने के कारण लोगो का रुझान खेतो की प्रति कम होने लगा. यदि कोई खेती करना भी चाहता है तो खेती होते ही जंगली जानवर उसे चट कर जाते है तथा स्थानीय लोगो को हुए नुक्सान की कोई भरपाई हो पाती है और न मुआवजा ही मिल पाता है . आज पहाड़ो में खेती न होने का सबसे ज्यादा असर पानी के स्रोतों पर पड़ रहा है. खेतों में बरसात का पानी न रुकने के कारण पानी के स्रोत लगातार सूख रहे है. समाज सेवी कार्यकर्ता यशपाल सिंह रावत का कहना है कि विकासखंड नैनीडांडा में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर कई बार स्थानीय अधिकारियो से बातचीत की गई परन्तु स्थानीय अधिकारियो द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं हुई . इस सम्बन्ध में सूचना अधिकारी से भी जानकारी मांगी गई है. नैनीडांडा -हल्दुखाल काली नदी पम्पिंग परियोजना कई सालो से अधर में लटकी हुई है. पानी को लेकर क्षेत्र में कई बार कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया, यहाँ तक कि मुख्य सचिव श्री सुभाष कुमार को मौखिक व पत्रों के माध्यम से भी इस समस्या से भी अवगत कराया गया . नैनीडांडा मिनी स्टेडियम का कई सालो से न बनना खेल प्रेमियों के लिये सबसे बड़ी पीड़ा है. खेल प्रेमियों का कहना है कि एक तरफ राज्य सरकार खेलों पर काफी ध्यान दे रही है और दूसरी तरफ काफी समय से लम्भित पड़े स्टेडियम को भी कोई भी पूछने वाला नहीं है. अस्पतालों का बुरा हाल है. डॉक्टरों के न होने के कारण लोगो को शहरों पर निर्भर रहना पड़ता है. अभी ताज़ा घटना देखने को मिली . नैनीडांडा ब्लाक के अंतर्गत रिंगल्टा, डडवाड़ी, मोरगढ़ ग्रामों में इन दिनों खसरा का प्रकोप छाया हुआ है. ग्रामीणों का आरोप है कि जिला अस्पताल में सूचना दिए जाने के बाद भी चिकित्सक गांवों की सुध नहीं ले रहे हैं. न ही कोई सुनने वाला है , मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. के. गुंसाई ने गांवों में खसरा फैलने संबंधी किसी भी जानकारी से इंकार किया है. दूसरी तरफ स्कूलों का बुरा हाल है. बच्चो को पीने के लिये स्वच्छ जल व शौचालय का अभाव है और सरकारी स्कूलों में अध्यापको की कमी है.वहीँ प्रबंधक व प्रधानाचार्य की मिलीभगत के कारण स्कूलों की और भी ज्यादा बुरी हालत है. अब हालात इतने बुरे हो गए हँ कि गावों मे रोजगार व मूलभूत सुविधाओं के न होने के कारण आज गाँव के गाँव पलायन करने के लिये मजबूर है. यदि समय रहते राज्य सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया तो आने वाला समय में स्थिति और भी भयावह हो जायगी ?

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