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Thursday, January 20, 2011

धैर्य टूटा तो मर्यादायें भी टूटीं

http://garhwalbati.blogspot.com
रामनगर: सीटीआर प्रशासन और सुंदरखालवालों के बीच बैठक शुरू होने से पहले ही हंगामे की भेंट चढ़ गई। अफसरों पर असल प्रभावित ग्रामीणों को वार्ता में न बुलाने के आरोप लगे। मामला गरमाया तो निदेशक का घेराव किया गया। इसी बीच तीखी नोकझोंक हुई और अधिकारियों पर अपशब्दों के बाण भी चले। माहौल बिगड़ता देख एसडीएम व सीओ ने बमुश्किल ग्रामीणों को अलग-थलग किया।
वन विभाग के एफडीए हॉल में सीटीआर प्रशासन व सुंदरखालवासियों की बैठक होनी थी। अधिकारियों के साथ ही ग्रामीण भी वहां पहुंचे तो गरमागरमी शुरू हो गई। आरोप था कि बाघिन के हमले से प्रभावित परिवारों तथा अन्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा कर नहीं बुलाया गया। यह भी आरोप था कि ऐसे लोगों को बैठक में बुलाया गया है जिनका गांव व ग्रामीणों के हितों से सरोकार ही नहीं।
देखते ही देखते मामला गरमा गया। समझाने पहुंचे निदेशक सीटीआर रंजन कुमार मिश्रा का आक्रोशित भीड़ ने घेराव कर दिया। श्री मिश्रा का कहना था, आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं के साथ ही बाघ संरक्षण के पैरोकारों को बैठक में बुलाया गया था। उन्होंने आदमखोर बाघिन के मामले में अब तक की कार्यवाही व कोशिशों से भी अवगत कराना चाहा पर ग्रामीण सुनने को तैयार न हुए। इस दौरान उपनिदेशक सीके कविदयाल से भी ग्रामीणों की तकरार हुई। एसडीएम एके नौटियाल व सीओ प्रमोद कुमार ने पुलिस कर्मियों की मदद से मामला बमुश्किल शांत कराया।
आक्रोश थमता न देख सीटीआर अधिकारी लौट गये। इस मौके पर सुंदरखाल के मनोनीत प्रधान चंदन राम, नारायण दत्त जोशी, खीमराम, पूर्व प्रमुख शिवराज रावत, आनंद पांडे, प्रभात ध्यानी, मनमोहन अग्रवाल, संजय नेगी, संजय रावत, विमला रावत, भावना भट्ट, आशा बिष्ट, दीप गुणवंत, अशोक खुल्वे, विनोद वर्मा, ताइफ खान, अरविंद गुसाई आदि मौजूद थे।
in.jagran.yahoo.com se sabhar

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