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उत्तरकाशी, पिछले दिनों गंगा भागीरथी के उद्गम स्थल पर हुई भारी बर्फबारी से विद्युत परियोजना के अधिकारियों के चेहरे खिल उठे हैं। अधिकारियों का कहना है कि बर्फ पिघलते ही इन दिनों हो रहे विद्युत उत्पादन के घाटे की पूर्ति हो जाएगी। दरअसल इन दिनों मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण परियोजनाओं के उत्पादन में कम जलस्तर के कारण निचले स्तर पर चला गया है।गंगा भागीरथी के उद्गम से लेकर इसके पूरे जलागम क्षेत्र में इन दिनों बर्फ की चादरें बिछी हुई हैं। अब तक दो बार बर्फबारी होने के साथ ही इसके और आसार बन रहे हैं। फरवरी के बाद बर्फ पिघलनी शुरू होगी तो गंगा भागीरथी का जलस्तर काफी बढ़ जाएगा। इसका सीधा असर मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण की परियोजनाओं पर पड़ेगा। 90 मेगावाट की प्रथम चरण परियोजना से इन दिनों महज चालीस से साठ मेगावाट उत्पादन ही हासिल हो रहा है। वहीं 340 मेगावाट की द्वितीय चरण परियोजना 110 मेगावाट तक ही विद्युत उत्पादन कर रही है। यह स्थिति दिसंबर माह से बनी हुई है। इस समय गंगा भागीरथी में जलस्तर 35 से 40 क्यूमेक्स होने के कारण दोनों परियोजनाओं की टरबाइनों को घुमाने लायक पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है, लेकिन दोनों परियोजनाओं के अधिकारी बर्फबारी को लेकर काफी उत्साहित हैं। बर्फ अधिक होने से फरवरी के तुरंत बाद इसका फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। जलस्तर समय से बढ़ने पर निगम इन दिनों विद्युत उत्पादन में आई गिरावट की भरपाई कर सकता है।
पर्याप्त पानी रहने पर कमाऊ परियोजनाएं
उत्तरकाशी : मनेरी भाली प्रथम व द्वितीय चरण परियोजनाएं जल विद्युत निगम के लिये कमाऊ परियोजनाएं रही हैं। गंगा भागीरथी में पर्याप्त पानी होने की स्थिति में प्रथम चरण परियोजना जहां बीते कई वर्षो से पूरी क्षमता यानी 90 मेगावाट उत्पादन कर रही है। वहीं द्वितीय चरण परियोजना जलाशय पूरा न भरा जाने के बावजूद 260 से 280 मेगावाट उत्पादन करती है।
फरवरी में भी बढ़ सकता है जलस्तर
उत्तरकाशी : मनेरी भाली द्वितीय चरण परियोजना के अधिशासी अभियंता (उत्पादन) राजीव कुमार ने बताया कि इस बार काफी तादाद में बर्फ गिरने से विद्युत उत्पादन बेहतर होने के आसार हैं। आम तौर पर मार्च में बर्फ पिघलनी शुरू होती है लेकिन इस बार अधिक बर्फ होने के कारण फरवरी अंतिम सप्ताह से ही जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar











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