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जोशीमठ : पहले साउथ एशियन विंटर गेम्स के अवसर पर जोशीमठ में आयोजित किए जा रहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का समापन प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरवाण की सुर संध्या के साथ हुआ। भरतवाण ने एक के बाद एक कई जागर व लोकगीत प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा कि खेलों को बढ़ाया देने के साथ-साथ लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए राज्य सरकार कृतसंकल्प है।औली में आयोजित साउथ एशियन विंटर गेम्स के आयोजन के दौरान जोशीमठ में रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा था, जिसका समापन रविवार की शाम को हुआ। कार्यक्रम की अंतिम सांस्कृतिक संध्या प्रसिद्ध जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के नाम रही। भरतवाण ने सुर संध्या की शुरूआत मां देवी के जागरों से की। दर्शकों की फरमाइश पर उन्होंने 'सरुली मेरो जिया लगीगे तेरी रौतेली मुखुड़ी मां, अकबक सी रेग्यूं मी पौंछी तरे कुमों गढ़ मां' व 'मी कुश्ल छन माली दगड़यों दगड़ी, तू कुशल रया माजी भुलों दगड़ी' गीत भी गाए। इससे पूर्व बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के विधायक केदार सिंह फोनिया, जिपं अध्यक्ष विजया रावत, नगरपालिका परिषद जोशीमठ के अध्यक्ष व दक्षिण एशियाई विंटर गेम्स सांस्कृतिक समिति के अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर सांस्कृतिक संध्या की शुरूआत की। इस अवसर पर कांग्रेस कमेटी के पूर्व जिला महामंत्री कमल रतूड़ी, नगर अध्यक्ष प्रकाश, गढ़वाल सांसद प्रतिनिधि उमेश शाह आदि कई लोग मौजूद थे।
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