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कोटद्वार, हाड़कंपाती ठंड और स्कूल के बरामदे में जिंदगी का ककहरा पढ़ते मासूम। प्रशासन ने जर्जर स्कूल भवन तोड़ने के आदेश क्या दिए, मासूमों के सिर से छत ही छिन गई। हम बात कर रहे हैं नगर के एकमात्र बालक जूनियर हाईस्कूल में अध्ययनरत उन 145 बच्चों की, जो कंपकपाती ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल के बरामदे में बैठे 'भविष्य' की नींव मजबूत कर रहे हैं।
वर्ष 1962 से मालगोदाम रोड में संचालित नगर के एकमात्र जूनियर हाईस्कूल (बालक) की जीर्ण-क्षीण स्थिति के चलते प्रशासन ने गत 13 अगस्त को इस विद्यालय भवन को ध्वस्त करने के आदेश पालिका को दिए थे। साथ ही विद्यालय का संचालन अन्य स्थान पर कराए जाने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक न तो विद्यालय भवन को ध्वस्त किया गया और न ही छात्रों के अध्ययन को अन्य व्यवस्था की गई।
वर्तमान में स्थिति यह है कि विद्यालय भवन की जीर्णशीर्ण स्थिति के कारण बच्चों के साथ ही शिक्षक भी कक्षाओं में बैठने से कतरा रहे हैं। आखिर किसे पता कि कब विद्यालय भवन इन मासूमों की कब्रगाह बन जाए। भलाई इसी में कि कमरों में बैठने के बजाए बरामदे में ही पढ़ाई कर ली जाए। हाड़तोड़ सर्दी तो पड़ रही है, लेकिन कम से कम जान तो सुरक्षित है।
नहीं सुनते हैं अधिकारी
पठन-पाठन के लिए कक्षा-कक्षों की व्यवस्था हेतु कई मर्तबा अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। ठंड के कारण बच्चों की उपस्थिति में भी काफी कमी आई है।
.नसीम अहमद, प्रधानाध्यापक
निर्माण के लिए नहीं मिले कोई निर्देश
विद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हो जाना चाहिए था, ताकि अगले सत्र से पूर्व निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता। अभी तक विभाग की ओर से निर्माण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। विद्यालय भवन से सटे प्राथमिक विद्यालय में एक कमरे की व्यवस्था की गई है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
वर्ष 1962 से मालगोदाम रोड में संचालित नगर के एकमात्र जूनियर हाईस्कूल (बालक) की जीर्ण-क्षीण स्थिति के चलते प्रशासन ने गत 13 अगस्त को इस विद्यालय भवन को ध्वस्त करने के आदेश पालिका को दिए थे। साथ ही विद्यालय का संचालन अन्य स्थान पर कराए जाने के भी निर्देश दिए थे, लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आज तक न तो विद्यालय भवन को ध्वस्त किया गया और न ही छात्रों के अध्ययन को अन्य व्यवस्था की गई।
वर्तमान में स्थिति यह है कि विद्यालय भवन की जीर्णशीर्ण स्थिति के कारण बच्चों के साथ ही शिक्षक भी कक्षाओं में बैठने से कतरा रहे हैं। आखिर किसे पता कि कब विद्यालय भवन इन मासूमों की कब्रगाह बन जाए। भलाई इसी में कि कमरों में बैठने के बजाए बरामदे में ही पढ़ाई कर ली जाए। हाड़तोड़ सर्दी तो पड़ रही है, लेकिन कम से कम जान तो सुरक्षित है।
नहीं सुनते हैं अधिकारी
पठन-पाठन के लिए कक्षा-कक्षों की व्यवस्था हेतु कई मर्तबा अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। ठंड के कारण बच्चों की उपस्थिति में भी काफी कमी आई है।
.नसीम अहमद, प्रधानाध्यापक
निर्माण के लिए नहीं मिले कोई निर्देश
विद्यालय का निर्माण कार्य शुरू हो जाना चाहिए था, ताकि अगले सत्र से पूर्व निर्माण कार्य पूर्ण हो जाता। अभी तक विभाग की ओर से निर्माण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। विद्यालय भवन से सटे प्राथमिक विद्यालय में एक कमरे की व्यवस्था की गई है।
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