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गोपेश्वर, बेहतरीन प्राकृतिक स्लाप होने के बावजूद औली के नन्दा देवी ढ़लान को स्कीइंग रिसोर्ट के रूप में पहचान नहीं मिल पाई, लेकिन एक अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के आयोजन ने इस रिजोर्ट की तस्वीर बदल दी। निश्चितरूप से पहले साउथ एशियन विंटर गेम्स का सफल आयोजन औली को विश्वस्तर के स्कीइंग रिजोर्ट के रूप में पहचान दे गया। यहां विकसित किए गए इन्फ्रास्ट्रैक्चर को न सिर्फ हिन्दुस्तान बल्कि दक्षिण एशियाई देशों के स्कीयर्स भी अपने लिए वरदान मान रहे हैं।
औली को स्की रिजोर्ट के रूप में विकसित करने की कवायद नब्बे के दशक से शुरु हुई थी। सबसे पहले यहा चियर लिफ्ट, उसके बाद रोपवे और फिर स्नोमेकिंग सिस्टम की स्थापना कर स्कीयर्स को सुविधा मुहैय्या करवालने के प्रयास किए गए। बीच में कई उतार-चढ़ाव आए जिसके चलते वर्ष 2006 में भारतीय औलम्पिक संघ से उत्तराखड को आवंटित किए गए पहले साउथ ऐशयन विंटर गेम्स तीन बार टलते चले गए। आखिरकार औली में इन सभी खामियों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने 110 करोड़ का बजट पारित किया, इसके बूते औली में इन्फ्रास्ट्रैक्चर तैयार किए गए। यही सुख सुविधाएं पहले 7 से 9 जनवरी तक औली में नेशनल ओपन स्कीइंग चैम्पियनशिप और फिर दक्षिण एशियाई शीतकालीन प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन का मजबूत आधार बनी। यहां प्रतिभाग करने पहुंचे पाकिस्तान, श्रीलंका व नेपाल के खिलाड़ी औली के प्राकृतिक स्लोप और सुख सुविधाओं को देखकर अभिभूत हो गए। पाकिस्तान की ओर से एल्पाइन स्कीइंग जायंट सलालम प्रतियोगिता में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाली दो बहिनों इथरावली व अमीनावली का कहना है कि औली का स्की रिजार्ट दक्षिण एशिया का बेहतरीन रिजार्ट है। श्रीलंका के स्नो बोर्ड खिलाड़ी कुमुन्दनी भी औली में स्कीइंग का इन्फ्रास्टै्रक्चर विकसित किए जाने के लिए भारत व उत्तराखण्ड सरकार का बार-बार शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकीं। उनका कहना है कि औली को बेहतरीन स्की रिजार्ट बनाकर हिन्दुस्तान व उत्तराखण्ड सरकार ने पूरी दक्षिण एशियाई देशों के स्कीयर्स के लिए लांचिंग पैड मुहैय्या कराया है। जबकि भारत के लिए साउथ एशियन विंटर गेम्स की स्कीइंग प्रतियोगिता में दो स्वर्ण जीतने वाले मोहम्मद आरिफ खान का कहना है कि औली के स्लोप को गोरसों बुग्याल तक विकसित किया जाना चाहिए, जिससें स्कीइंग की सुपर जायंट एफ्रोबैट व जंपिग प्रतियोगिताएं भी भविष्य में यहां आयोजित की जा सके। प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा का कहना है कि औली में स्कीइंग स्लोप के अलावा ग्रास स्कीइंग की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है ताकि शीतकाल के अलावा ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं को भी यहां आयोजन किया जा सके।
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औली को स्की रिजोर्ट के रूप में विकसित करने की कवायद नब्बे के दशक से शुरु हुई थी। सबसे पहले यहा चियर लिफ्ट, उसके बाद रोपवे और फिर स्नोमेकिंग सिस्टम की स्थापना कर स्कीयर्स को सुविधा मुहैय्या करवालने के प्रयास किए गए। बीच में कई उतार-चढ़ाव आए जिसके चलते वर्ष 2006 में भारतीय औलम्पिक संघ से उत्तराखड को आवंटित किए गए पहले साउथ ऐशयन विंटर गेम्स तीन बार टलते चले गए। आखिरकार औली में इन सभी खामियों को दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने 110 करोड़ का बजट पारित किया, इसके बूते औली में इन्फ्रास्ट्रैक्चर तैयार किए गए। यही सुख सुविधाएं पहले 7 से 9 जनवरी तक औली में नेशनल ओपन स्कीइंग चैम्पियनशिप और फिर दक्षिण एशियाई शीतकालीन प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन का मजबूत आधार बनी। यहां प्रतिभाग करने पहुंचे पाकिस्तान, श्रीलंका व नेपाल के खिलाड़ी औली के प्राकृतिक स्लोप और सुख सुविधाओं को देखकर अभिभूत हो गए। पाकिस्तान की ओर से एल्पाइन स्कीइंग जायंट सलालम प्रतियोगिता में स्वर्ण और रजत पदक जीतने वाली दो बहिनों इथरावली व अमीनावली का कहना है कि औली का स्की रिजार्ट दक्षिण एशिया का बेहतरीन रिजार्ट है। श्रीलंका के स्नो बोर्ड खिलाड़ी कुमुन्दनी भी औली में स्कीइंग का इन्फ्रास्टै्रक्चर विकसित किए जाने के लिए भारत व उत्तराखण्ड सरकार का बार-बार शुक्रिया अदा करने से नहीं चूकीं। उनका कहना है कि औली को बेहतरीन स्की रिजार्ट बनाकर हिन्दुस्तान व उत्तराखण्ड सरकार ने पूरी दक्षिण एशियाई देशों के स्कीयर्स के लिए लांचिंग पैड मुहैय्या कराया है। जबकि भारत के लिए साउथ एशियन विंटर गेम्स की स्कीइंग प्रतियोगिता में दो स्वर्ण जीतने वाले मोहम्मद आरिफ खान का कहना है कि औली के स्लोप को गोरसों बुग्याल तक विकसित किया जाना चाहिए, जिससें स्कीइंग की सुपर जायंट एफ्रोबैट व जंपिग प्रतियोगिताएं भी भविष्य में यहां आयोजित की जा सके। प्रमुख सचिव पर्यटन राकेश शर्मा का कहना है कि औली में स्कीइंग स्लोप के अलावा ग्रास स्कीइंग की संभावनाएं भी तलाशी जा रही है ताकि शीतकाल के अलावा ग्रीष्मकालीन प्रतियोगिताओं को भी यहां आयोजन किया जा सके।
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