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हल्द्वानी: एलपीजी गैस की किल्लत अब ज्यादा नहीं खलेगी। सब कुछ ठीकठाक रहा तो बायो-गैस संयंत्र आम उपभोक्ता का चूल्हा जलाने में मददगार साबित होगा। केंद्रीय अनुदान के तहत उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) पहले पहल ग्रामीण क्षेत्रों में प्लांट लगाकर गैस की मौजूदा चुनौतियों को कम करेगा। अगले चरण में करीब आधा दर्जन गांवों को 'ग्रीन एनर्जी मॉडल विलेज' के रूप में विकसित किया जाएगा।
दरअसल, राज्य के हर जिले में एलपीजी सिलेंडरों की किल्लत व कालाबाजारी ने नई समस्या खड़ी कर दी है। आए दिन चक्का जाम, प्रदर्शन व आंदोलनों के बावजूद कमी दूर होने का नाम नहीं ले रही। ऐसे में पर्यावरणीय दृष्टि से फायदेमंद बायो गैस के जरिये उरेडा ने इस समस्या से निपटने को हल ढूंढ लिया है। नैनीताल जिले के कोटाबाग, कालाढुंगी, रामनगर, गौलापार, लालकुआं आदि क्षेत्रों में बायो गैस की तरफ बढ़ते रुझान को देखते हुए उरेडा ने कवायद तेज कर दी है।
साथ ही ऐसे गांवों का चयन शुरू कर दिया गया है जहां अधिकाधिक गैस प्लांट स्थापित हुए हैं। शत-प्रतिशत लक्ष्य रखते हुए हर घर में प्लांट लगाकर ऐसे गांवों को मॉडल विलेज भी बनाया जाएगा। जनपद में ही विजयपुर, बजौनियाहल्दू, फतेहपुर, मूसाबंगर आदि क्षेत्र इस लक्ष्य के नजदीक हैं।
उरेडा राज्य के ऐसे गांव चयनित करेगा, जहां बहुतायत में लोग बायो गैस प्लांट स्थापित कर चुके हैं। फिर मॉडल गांवों को आदर्श के रूप में पेश किया जायेगा ताकि लोगों में प्लांट के प्रति जागरुकता बढ़े और एलपीजी की समस्या से निपटा जा सके।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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