सुदर्शन सिंह रावत | नैनीताल | मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष व न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खंडपीठ ने आइपीएस अधिकारी राकेश मित्तल की पदोन्नति के लिए डीपीसी में विलंब को लेकर सरकार पर 50 हजार जुर्माना लगाते हुए उनकी डीपीसी पर पुनर्विचार के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने यह निर्देश गुरुवार को इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2004 में हुई विभागीय पदोन्नति कमेटी(डीपीसी) ने आइपीएस अफसर कंचन चौधरी भट्टाचार्य की पदोन्नति पर मुहर लगाई थी, जिसके बाद भट्टाचार्य को पुलिस महानिदेशक बना दिया गया। डीपीसी में वर्ष 1973 बैच के आइपीएस अधिकारी राकेश मित्तल की पदोन्नति के दावे पर इस आधार पर विचार नहीं किया था कि उनके खिलाफ दरोगा भर्ती घोटाले की जांच चल रही है। डीपीसी में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी आरएस टोलिया, एसके दास व रामचंद्रन आदि शामिल थे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ राकेश मित्तल ने केंद्रीय प्रशासनिक अभिकरण(कैट) की शरण ली। मित्तल का कहना था कि उनके खिलाफ किसी भी तरह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। पहली मई 2008 को कैट ने राकेश मित्तल के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार से उनकी डीपीसी पर विचार करने के निर्देश दिए। इसी बीच कई डीपीसी हुई, लेकिन सरकार ने राकेश मित्तल की डीपीसी पर विचार के बजाय कैट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया
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