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रामनगर: लेडी किलर बाघिन को कैद करने की चुनौती के बीच अब सीटीआर प्रशासन को ढिकाला जोन में छोड़े गये नर बाघ की सुरक्षा का खतरा सताने लगा है। वन्य जीवों में दिलचस्पी रखने वाले व अन्य विशेषज्ञों की मानें तो बाघों में क्षेत्रवाद व वर्चस्व की प्रवृत्ति जबर्दस्त होती है। ऐसे में सर्पदुली रेंज से ढिकाला जोन में छोड़े गये बाघ का वहां पहले से मौजूद बाघों से संघर्ष की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
बताते चलें कि सर्पदुली रेंज में दो महिलाओं को निवाला बना चुकी आदमखोर बाघिन के बजाय पिंजरे में बीती शनिवार तड़के उसका साथी नर बाघ फंस गया था। सांय पौने सात बजे पार्क वार्डन यूसी तिवारी व पशु चिकित्सा अधिकारी डा. राजीव सिंह एवं अन्य कर्मचारी बाघ को लेकर ढिकाला जोन पहुंचे। यहां कर्मचारियों ने बाघ को मुक्त करने के लिए जब पिंजरा खोला तो वह बाहर नहीं निकला। विशेषज्ञों के मुताबिक बाघ को इलाका बदलने का आभास हो चुका था और वह पिंजरे में बैठे-बैठे वहां के बदले हालातों को भाप रहा था।
हालांकि यह देख सीटीआर अफसरों की सांस अटक गई थी। बाद में जब तेजी से पिंजरा हिलाया गया तो बाघ फुर्ती से बाहर निकल आया। इससे पूर्व कुछ दूर उसके भोजन के लिए बांधे गये बकरे को उसने झपटने का मामूली प्रयास किया। मगर फिर शिकार को छोड़ घने जंगल की तरफ तेजी से बढ़ गया। हो सकता है बाघ को यह शंका रही होगी कि बकरे को दबोचने में कहीं दूसरा बाघ विरोध पर न उतर आये। बहरहाल, दूसरे इलाके में बाघ का अन्य बाघों से संघर्ष और उसकी सुरक्षा सीटीआर प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
बाघ छोड़ने के बाद भी उस पर नजर रखी जा रही। उसका ढिकाला जोन में पहले से मौजूद किसी अन्य बाघ से संघर्ष हो सकता है। इसलिए वन कर्मचारी बाघ पर लगातार नजर गढ़ाये हैं।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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