उत्तराखंड राज्य में वैसे तो कई ऐसे स्थल हैं जो पर्यटन की दृष्टी से बहुत सुन्दर हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण ये स्थान अपनी खूबसूरती का फायदा नहीं उठा पाते। ऐसा ही कुछ हाल है गंगोत्री धाम यात्रा मार्ग पर स्थित धराली ग्राम का। गांव में सुविधाएं न होने से पर्यटक चाहकर भी इस रमणीक स्थल पर नहीं ठहरते पाते। ग्रामीणों का कहना है कि धराली ग्राम को उस 'भगीरथ' का इंतजार है, जो इस गांव को मूलभूत सुविधाएं प्रदान करा सके।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 75 किमी दूर गंगोत्री राजमार्ग पर धराली गांव पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। गांव में खुदाई में निकला प्राचीन कल्प केदार मंदिर, मार्कंडेय मंदिर और सेब के बाग आकर्षण का केंद्र हैं। श्रीकंठ पर्वत की तलहटी में बसे इस गांव से सात ताल का ट्रैक सहित अन्य उच्च हिमालयी ट्रैक शुरू होते हैं। संभावनाओं के चलते ही धराली में दो दर्जन होटल व गेस्ट हाउस तैयार हो गये हैं। गंगोत्री धाम की यात्रा पर आने वाले देशी विदेशी श्रद्धालु व पर्यटक इस जगह पर रुकना भी पसंद करते हैं, लेकिन सुविधाएं न मिलने पर उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पर्यटन के लिहाज से जरूरी सुविधाओं में शामिल विद्युत, संचार व सफाई की व्यवस्थाएं नहीं जुटाई जा सकी है। सार्वजनिक शौचालय, कूड़ेदान, ड्रेनेज जैसी सुविधाएं कोसों दूर हैं। वहीं वाहन पार्किंग, साइनबोर्ड और पर्यटन सूचना केंद्र जैसी व्यवस्था भी नहीं है। यात्रा सीजन की शुरुआत में व्यवस्थाएं चाक चौबंद तो की जाती हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में सारी व्यवस्था चरमरा जाती हैं। धराली की ग्राम प्रधान ममता पंवार ने बताया कि जिला पंचायत सहित शासन प्रशासन से अनेक बार जरूरी सुविधाएं जुटाए जाने की मांग की गयी है, लेकिन अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।
उम्मीद की किरन, गंगोत्री मेगा प्रोजेक्ट
धराली के लोगों को निर्मल गंगोत्री मेगा प्रोजेक्ट से काफी उम्मीदें हैं। इसके तहत हर्षिल से गंगोत्री तक पर्यटकीय सुविधाओं का विस्तार किया जाना है।
'धराली पर्यटकों की पसंदीदा जगह रही है। निर्मल गंगोत्री प्रोजेक्ट से धराली को काफी लाभ मिलेगा। लेकिन यह सब तभी संभव होगा, जब ये प्रोजेक्ट पूरी तरह से बन कर तैयार हो जायेगा।
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