सशक्त नारी सशक्त समाज
(सुदर्शन सिंह रावत) सशक्त नारी सशक्त समाज यह ज्वलंत उद्धरण है उत्तराखंड के लक्ष्मी आश्रम की बसंती बहन जो कि कौशानी, अल्मोड़ा,में आजकल चर्चा के साथ साथ जाना पहचाना नाम है इन मंगल दलों की शुरुआत पहाड़ों में पानी की कमी के साथ हुईं. इस क्षेत्र में 365 नौले-धारे थीं, धीरे-धीरे सब सुखने लगीं. जंगल कट गए.
अल्मोड़ा में बहने वाली कोसी नदी का पानी सूखने लगा.. उनकी प्रेरणा से इस वक़्त कौशानी और अल्मोड़ा के आस-पास के गांवों में लगभग 200 महिला मंगल दल चल रहे हैं. प्रत्येक दल में 10-15 महिलाएं हैं. यह महिलाएं गांव में सुरक्षा प्रहरी की तरह काम करती हैं. हर ग़लत के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने से लेकर हर सही कार्य के साथ खड़े होने का काम.महिला मंगल दल कर रहा है स्वयं सेवी महिलाओं का अपना छोटा संगठन है,अब सभी सदस्यों ने ने तय किया है कि लगात्तर संकट झेल रही वह अब कोसी नदी को बचाएंगी,जंगल की लकड़ियों की अंधाधुन कटाई और पशुओं को खिलाने के लिए लाई जाने वाली पत्तियों की वजह से पहाड़ नंगे होते चले गए. धीरे-धीरे पीने के पानी की भी किल्लत होने लगी. वर्ष 2003 में स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि यहां पानी पर पुलिस का पहरा बिठा दिया गया, जिस वजह से किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिला. ऐसी स्थिति से बचाव के लिए आवश्यक था कि कटे हुए पेड़ के सामने नये पोध फिर से लगाए जाएं. इसके लिए बसंती बहन ने प्रयास प्रारंभ किए. शुरू में इनकी बात कोई सुनने को तैयार नहीं था. जब उन्होंने पेड़ के महत्व को समझाने के लिए घर के बड़े-बुजुर्गों से बात करनी शुरू की तो परिणाम निराश करने वाले थे. कई जगह तो यह भी कहने से बुजुर्ग नहीं चुके कि यहां की महिलाएं डीएम की भी बात नहीं सुनेंगी. वह भी आकर कहेगा इसके बावजूद भी लकड़ी काटेंगी. बसंती बहन ने गावं गावं में जाकर महिलाओं से सीधी बात करनी शुरू की, उन्होंने कहा कि लकड़ी जंगल से लाओ, लेकिन इतनी ही लेकर आओं जितने की ज़रूरत है. कच्ची लकड़ी जंगल से नहीं काटेंगी और अपनी नज़र के सामने पेड़ कटने भी नहीं देंगी. चौड़ी पत्ती वाले पेड़ों को सूखने से पहले नहीं कटने देंगी, आग से जंगल की रक्षा करेंगी. जब महिला मंगल दल का यह प्रयोग शुरू हुआ तो बात दूसरे गांवों तक पहुंची. अब धीरे-धीरे दूसरे गांवों की महिलाएं भी इस आंदोलन से जुड़ने लगी हैं. महिला मंगल दल ने अपने ज़िम्मे ङ्गिर एक और काम लिया, छापेमारी का. अपने गांव में जब महिलाओं को पता चलता था कि किसी महिला ने जंगल से लकड़ी काटकर अपना घर भरा है, फ़ौरन मंगल दल का छापेमार दस्ता इसके घर पहुंच जाता और इसके बाद वह लकड़ी ज़ब्त की जाती थी. धीरे-धीरे गांवों के लोगों ने इस आंदोलन के महत्व को समझा और इसका परिणाम यह हुआ कि बसंती बहन का यह आंदोलन इस समय लगभग 200 से भी अधिक गांवों में महिला मंगल दल का काम सफलता पूर्वक चल रहा है.
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