Movie Download

Ghaur Bati Search

image ad

Chitika

Thursday, May 26, 2011

मेलों के आयोजन से बढ़ता है आपसी भाईचारा : नेगी

http://garhwalbati.blogspot.com
कलालघाटी : भाबर क्षेत्र के अंतर्गत झंडीचौड़ (पूर्वी) में स्व.राजाराम जी की स्मृति में आयोजित एक दिवसीय मेला गुरुवार को संपन्न हो गया। इससे पूर्व बुधवार रात को जागरण का आयोजन किया गया।
बतौर मुख्य अतिथि पूर्व काबीना मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने मेलों को संस्कृति व सभ्यता का संवाहक बताते हुए कहा कि इस प्रकार के मेलों से लोगों में आपसी भाईचारा भी बढ़ता है। विशिष्ट अतिथि क्षेत्र पंचायत प्रमुख दुगड्डा गीता नेगी ने कहा कि स्व.राजाराम ने वर्ष 1965 में झंडीचौड़ में मेले की शुरूआत की थी, तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष उनके परिजनों की ओर से यह मेला आयोजित किया जा रहा है।
कैलाश चंद्र की अध्यक्षता में आयोजित मेले में उपाध्यक्ष मदनलाल अग्रवाल, प्रेम पुजारी, ग्राम प्रधान रामेश्वरी देवी (पूर्वी), कुंती देवी (उत्तरी), पुष्पा देवी शाह (पश्चिमी) आदि मौजूद रहे। संचालन सचिव बुद्धि प्रकाश ने किया। इससे पूर्व बुधवार देर रात मां कालिंगा का जागरण किया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
होती है मां कालिंगा की पूजा-अर्चना
कोटद्वार : वर्ष 1935 में बदलपुर पट्टी समेत गढ़वाल के अधिकांश क्षेत्रों में हैजे का प्रकोप फैला था। जिससें सात नौगांव के, छह विन्तल के व चार लोग सिमलधार के काल का ग्रास बन गए। ग्रामीण मूसा देवी पर मां कालिंगा प्रकट हुई व देवी के चावल परखने के बाद यह बीमारी पूरे क्षेत्र से दूर हो गई। मान्यता है कि तब से मां कालिंगा तल्ला बदलपुर, कौडिया, मल्ला बदलपुर व पैनो घाटी में झंडे के साथ भ्रमण कर ग्रामीणों की रक्षा करती आ रही है। बीमारी से मुक्त होने के बाद ग्रामीणों ने सिमलधार में मां कालिंगा के मंदिर की स्थापना की। उस वक्त पीड़ित ईश्वरी दत्त ने मां की पूजा-अर्चना शुरू की। 1942 में उन्होंने पूजा-अर्चना बंद कर दी, जिससे देवी रूष्ट हो गई। बाद में ईश्वरी दत्त नाचते-नाचते मंदिर पहुंचे व पूजा अर्चना शुरू कर दी। तब से लेकर आज तक प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की 12 गति को यह मेला आयोजित किया जाता है। झंडीचौड़ में 1950 में स्व.श्रद्धानंद जी आए व प्रतिवर्ष उन्हें पूजा अर्चना के लिए सिमलधार जाना पड़ता था,्र जिस पर उन्होंने 1962 में सिमलधार से मां का त्रिशूल पूर्वी झंडीचौड़ लाए व उसी तिथि व उसी दिन पर मां की मूर्ति स्थापित की। 1965 में उनके पुत्र स्व.राजाराम ने झंडीचौड़ पूर्वी में मेले की विधिवत शुरूआत की।
in.jagran.yahoo.com se sabhar

No comments:

Post a Comment

thank for connect to garhwali bati

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...