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फरीदाबाद : एयरबस एंबुलेंस को लैंडिंग की इजाजत देने में देरी के बाद हुए हादसे में अपने बच्चों को खो चुके रत्नेश व राहुलराज के परिजन डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल आफ सिविल एविएशन)पर मुकदमा दर्ज करेगी।
फरीदाबाद में ही दोनों का अंतिम संस्कार करने वाले राहुल राज के चाचा रमाशंकर और रत्नेश के पिता रविंद्र प्रसाद ने बताया कि सड़क यातायात के दौरान भी एंबुलेंस को यातायात विभाग और सड़क पर दौड़ते अन्य वाहनों द्वारा खाली मार्ग देने में प्राथमिकता दी जाती है। डीजीसीए को जब जानकारी दे दी गई थी कि यह एयरबस एंबुलेंस है। उसमें सवार एक युवक कोमा में है और उसमें डाक्टरों का दल भी है, तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीजीसीए को समय रहते लैंडिंग की इजाजत देनी चाहिए थी, लेकिन उसे ऑन होल्ड पर कर दिया। रमाशंकर व रविंद्र प्रसाद ने बताया कि यह डीजीसीए की घोर लापरवाही है, जिसकी वजह से देश ने दो अनुभवी डाक्टर, दो पायलट और दो युवाओं को खो दिया। साथ ही हादसे में एक नर्स व जहां विमान गिरा, वहां की तीन महिलाओं की जान चली गई।
रमाशंकर ने कहा कि उन्हें डीजीसीए से कोई मुआवजा नहीं चाहिए, लेकिन वह यह मुकदमा इस कारण दायर करेंगे ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और किसी निर्दोष की जान न जाए। वह केंद्र सरकार से भी मांग करते हैं कि वह मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर लापरवाह दोषी अधिकारियों के खिलाफ स्वयं भी आपराधिक मुकदमा दर्ज करे।
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फरीदाबाद में ही दोनों का अंतिम संस्कार करने वाले राहुल राज के चाचा रमाशंकर और रत्नेश के पिता रविंद्र प्रसाद ने बताया कि सड़क यातायात के दौरान भी एंबुलेंस को यातायात विभाग और सड़क पर दौड़ते अन्य वाहनों द्वारा खाली मार्ग देने में प्राथमिकता दी जाती है। डीजीसीए को जब जानकारी दे दी गई थी कि यह एयरबस एंबुलेंस है। उसमें सवार एक युवक कोमा में है और उसमें डाक्टरों का दल भी है, तो स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीजीसीए को समय रहते लैंडिंग की इजाजत देनी चाहिए थी, लेकिन उसे ऑन होल्ड पर कर दिया। रमाशंकर व रविंद्र प्रसाद ने बताया कि यह डीजीसीए की घोर लापरवाही है, जिसकी वजह से देश ने दो अनुभवी डाक्टर, दो पायलट और दो युवाओं को खो दिया। साथ ही हादसे में एक नर्स व जहां विमान गिरा, वहां की तीन महिलाओं की जान चली गई।
रमाशंकर ने कहा कि उन्हें डीजीसीए से कोई मुआवजा नहीं चाहिए, लेकिन वह यह मुकदमा इस कारण दायर करेंगे ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और किसी निर्दोष की जान न जाए। वह केंद्र सरकार से भी मांग करते हैं कि वह मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर लापरवाह दोषी अधिकारियों के खिलाफ स्वयं भी आपराधिक मुकदमा दर्ज करे।
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