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गोपेश्वर: कर्णप्रयाग ब्लाक के ग्राम सभा चमोला में एक ही स्रोत से तीन योजनाएं बनाई गई। अब हालत यह है कि योजनाएं ग्रामीणों की प्यास बुझाने के बजाय खुद ही प्यासी रह गई हैं। स्वजल विभाग की कारस्तानी देखिए कि गैरोली गदेरा के इस पेयजल स्रोत में पानी की कमी के बाद भी सैनू गांव के लिए यहीं से नई योजना स्वीकृत कर दी गई और यह भी देखने की कोशिश नहीं की कि स्रोत पर पानी है भी या नही। अब विवाद के बाद नींद से जागा स्वजल विभाग बिना पानी के गैरोली गांव के नीचे सिमली शैलेश्वर मोटर मार्ग से सटे बरसाती स्रोत से ही योजना को जोड़कर अपने कर्तव्यों को इतिश्री करने का प्रयास कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि जल संस्थान द्वारा 1982 में चमोला-सैनू, गैरोला तल्ली के लिए पेयजल योजना बनाई थी। बाकायदा इस योजना से ग्रामीणों को पेयजल भी उपलब्ध होता था। स्वजल विभाग की ओर से 2007 में चमोला व गैरोला तल्ली के लिए अलग-अलग पेयजल योजना प्रस्तावित की गई। 12 लाख 11 हजार 5 सौ दो रूपये से 21 सौ मीटर पेयजल योजना का निर्माण 2010 में पूर्ण कर लिया गया। तीनों योजनाओं के निर्माण का स्रोत एक ही था। अब एक ही स्रोत से जल संस्थान के साथ-साथ स्वजल की योजना संचालित होती रही, तथा सैनू, चमोला व तल्ली गैरोली के मध्य पानी की कमी को लेकर विवाद आम हो गया। हद तो तब हो गई जब स्वजल ने पेयजल विवाद के बाद भी सैनू गांव के लिए भी इसी टैंक से 2008-09 में 13 लाख 78 हजार 3 सौ 53 रूपये की ढाई किलोमीटर लंबी पेयजल योजना प्रस्तावित कर दी। इसका निर्माण शुरू हुआ तो ग्रामीणों के विरोध के बाद स्वजल को गलती का एहसास हुआ। लेकिन तब तक लाखों रूपये की 7 सौ मीटर पाईप लाईन बिछ चुकी थी। इस पर स्वजल ने इस स्रोत को सूखा घोषित कर एक नये स्रोत से इस लाईन को जोड़ने की योजना बनाई , परन्तु इस स्रोत के मात्र बरसाती स्रोत होने के चलते सैनू गांव के लिए बन रही लाखों की पेयजल योजना लोगों की प्यास बुझाने के बजाय खुद ही प्यासी रह गई। अब विभाग भी मान रहा है कि स्रोतों पर पानी की किल्लत से स्वजल की पेयजल योजना खटाई में है। आलम यह है कि स्वजल द्वारा चमोला, तल्ली गैरोली सहित सैनू के लिए बनाई गई पेयजल योजना के पाईप मानकों के अनुसार जमीन में नहीं गाड़े गये हैं, और ये पाईप हवा में झूलकर स्वजल की कार्यकुशलता की कहानी खुद बखान कर रहे हैं। हालांकि इस बात का किसी के पास जवाब नहीं है कि हवाई सर्वे के आधार पर सरकार के लाखों रूपये के वारे न्यारे के लिए कौन जिम्मेदार है।
''सैनू में पुराने स्रोत पर पानी की कमी के चलते इस योजना के लिए नया स्रोत खोज लिया गया है। उसमें पानी की क्षमता के आंकलन किया जा रहा है ताकि यह तय हो सके कि इस स्रोत पर हमेशा पानी उपलब्ध है या नहीं।''
अखिलेश डिमरी
सामुदायिक विकास विशेषज्ञ
स्वजल परियोजना चमोली
''पेयजल योजना के स्रोत पर पानी की कमी किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में अधिकारी पेयजल योजना का निर्माण कर सरकारी धन की बर्बादी कर रहे हैं।''
जनार्दन चमोली, पूर्व प्रधान
ग्राम चमोला
आंकड़ों में गांव की आबादी-
चमोला- जनसंख्या-122 , पेयजल डिमांड- 8 हजार 2 सौ 5 लीटर प्रतिदिन।
गैरोली तल्ली- जनसंख्या-108, पेयजल डिमांड-3 हजार 8 सौ 41 लीटर प्रतिदिन।
सैनू- जनसंख्या-519, पेयजल डिमांड- 38 हजार 7 सौ 3 लीटर प्रतिदिन।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
उल्लेखनीय है कि जल संस्थान द्वारा 1982 में चमोला-सैनू, गैरोला तल्ली के लिए पेयजल योजना बनाई थी। बाकायदा इस योजना से ग्रामीणों को पेयजल भी उपलब्ध होता था। स्वजल विभाग की ओर से 2007 में चमोला व गैरोला तल्ली के लिए अलग-अलग पेयजल योजना प्रस्तावित की गई। 12 लाख 11 हजार 5 सौ दो रूपये से 21 सौ मीटर पेयजल योजना का निर्माण 2010 में पूर्ण कर लिया गया। तीनों योजनाओं के निर्माण का स्रोत एक ही था। अब एक ही स्रोत से जल संस्थान के साथ-साथ स्वजल की योजना संचालित होती रही, तथा सैनू, चमोला व तल्ली गैरोली के मध्य पानी की कमी को लेकर विवाद आम हो गया। हद तो तब हो गई जब स्वजल ने पेयजल विवाद के बाद भी सैनू गांव के लिए भी इसी टैंक से 2008-09 में 13 लाख 78 हजार 3 सौ 53 रूपये की ढाई किलोमीटर लंबी पेयजल योजना प्रस्तावित कर दी। इसका निर्माण शुरू हुआ तो ग्रामीणों के विरोध के बाद स्वजल को गलती का एहसास हुआ। लेकिन तब तक लाखों रूपये की 7 सौ मीटर पाईप लाईन बिछ चुकी थी। इस पर स्वजल ने इस स्रोत को सूखा घोषित कर एक नये स्रोत से इस लाईन को जोड़ने की योजना बनाई , परन्तु इस स्रोत के मात्र बरसाती स्रोत होने के चलते सैनू गांव के लिए बन रही लाखों की पेयजल योजना लोगों की प्यास बुझाने के बजाय खुद ही प्यासी रह गई। अब विभाग भी मान रहा है कि स्रोतों पर पानी की किल्लत से स्वजल की पेयजल योजना खटाई में है। आलम यह है कि स्वजल द्वारा चमोला, तल्ली गैरोली सहित सैनू के लिए बनाई गई पेयजल योजना के पाईप मानकों के अनुसार जमीन में नहीं गाड़े गये हैं, और ये पाईप हवा में झूलकर स्वजल की कार्यकुशलता की कहानी खुद बखान कर रहे हैं। हालांकि इस बात का किसी के पास जवाब नहीं है कि हवाई सर्वे के आधार पर सरकार के लाखों रूपये के वारे न्यारे के लिए कौन जिम्मेदार है।
''सैनू में पुराने स्रोत पर पानी की कमी के चलते इस योजना के लिए नया स्रोत खोज लिया गया है। उसमें पानी की क्षमता के आंकलन किया जा रहा है ताकि यह तय हो सके कि इस स्रोत पर हमेशा पानी उपलब्ध है या नहीं।''
अखिलेश डिमरी
सामुदायिक विकास विशेषज्ञ
स्वजल परियोजना चमोली
''पेयजल योजना के स्रोत पर पानी की कमी किसी से छुपी नहीं है। ऐसे में अधिकारी पेयजल योजना का निर्माण कर सरकारी धन की बर्बादी कर रहे हैं।''
जनार्दन चमोली, पूर्व प्रधान
ग्राम चमोला
आंकड़ों में गांव की आबादी-
चमोला- जनसंख्या-122 , पेयजल डिमांड- 8 हजार 2 सौ 5 लीटर प्रतिदिन।
गैरोली तल्ली- जनसंख्या-108, पेयजल डिमांड-3 हजार 8 सौ 41 लीटर प्रतिदिन।
सैनू- जनसंख्या-519, पेयजल डिमांड- 38 हजार 7 सौ 3 लीटर प्रतिदिन।
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