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देहरादून : पुराने जीर्ण-शीर्ण भवनों को भूकंपरोधी बनाने की लागत नए निर्माण के मुकाबले सिर्फ 18 प्रतिशत आएगी। इससे एक तरफ नए भवन निर्माण में करोड़ों की राशि बचेगी, दूसरी तरफ पुराने भवन भूकंपरोधी हो जाएंगे। सिंगापुर के नानयांग तकनीकी विश्वविद्यालय के सहयोग से राज्य के दो स्कूल भवनों में इस तकनीक का सफल प्रयोग किया जा चुका है। दो में कार्य प्रगति पर है।
आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी), सिंगापुर के नानयांग तकनीकी विश्वविद्यालय के सहयोग ने राज्य के चार इंटर कालेजों के पुराने भवनों को भूकंपरोधी बनाने में जुटा है। देहरादून के रानीपोखरी इंटर कालेज और शहर में डोभालवाला के राजकीय इंटर कालेज भवनों का सुदृढ़ीकरण कार्य सफलता पूर्वक किया जा चुका है। टिहरी जिले के फकोट तथा नैनबाग राजकीय इंटर कालेजों में यह कार्य प्रगति पर है।
नानयांग विश्वविद्यालय ने इन चार कालेजों को मॉडल के रूप में लिया है। सिंगापुर का यह विश्वविद्यालय अपने संसाधनों से इन भवनों का जीर्णोद्धार कर रहा है। डीएमएमसी के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला के अनुसार एक स्कूल भवन को भूकंपरोधी बनाने में करीब आठ लाख रुपये की लागत आई है। इस संबंध में डीएमएमसी ने एक अध्ययन भी किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि किसी पुराने भवन को तोड़कर यदि नया भवन बनाया जाता है तो उसमें आने वाली लागत के 18 प्रतिशत से भी कम लागत में भूकंपरोधी कार्य कर पुराने भवन को नया किया जा सकता है। पुराने भवन का यह जीर्णोद्धार उसे भूकंपरोधी भी बना देगा। श्री रौतेला के अनुसार चारों भवनों का जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने के बाद लोक निर्माण विभाग से शेड्यूल आफ रेट तय कराया जाएगा।
राज्य में हजारों भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। यदि इतनी कम लागत में उन्हें भूकंपरोधी बनाया जा सकता है तो यह एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ सकता है। चारों भवनों में भूकंपरोधी कार्य पूर्ण हो जाने के बाद डीएमएमसी इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार के सामने रखेगी। राज्य सरकार को तय करना है कि वह पुराने सरकारी भवनों, स्कूल-कालेजों आदि में इस तरह का कार्य कर उनका जीर्णोद्धार करना चाहेगी।
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आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (डीएमएमसी), सिंगापुर के नानयांग तकनीकी विश्वविद्यालय के सहयोग ने राज्य के चार इंटर कालेजों के पुराने भवनों को भूकंपरोधी बनाने में जुटा है। देहरादून के रानीपोखरी इंटर कालेज और शहर में डोभालवाला के राजकीय इंटर कालेज भवनों का सुदृढ़ीकरण कार्य सफलता पूर्वक किया जा चुका है। टिहरी जिले के फकोट तथा नैनबाग राजकीय इंटर कालेजों में यह कार्य प्रगति पर है।
नानयांग विश्वविद्यालय ने इन चार कालेजों को मॉडल के रूप में लिया है। सिंगापुर का यह विश्वविद्यालय अपने संसाधनों से इन भवनों का जीर्णोद्धार कर रहा है। डीएमएमसी के अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला के अनुसार एक स्कूल भवन को भूकंपरोधी बनाने में करीब आठ लाख रुपये की लागत आई है। इस संबंध में डीएमएमसी ने एक अध्ययन भी किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि किसी पुराने भवन को तोड़कर यदि नया भवन बनाया जाता है तो उसमें आने वाली लागत के 18 प्रतिशत से भी कम लागत में भूकंपरोधी कार्य कर पुराने भवन को नया किया जा सकता है। पुराने भवन का यह जीर्णोद्धार उसे भूकंपरोधी भी बना देगा। श्री रौतेला के अनुसार चारों भवनों का जीर्णोद्धार कार्य पूर्ण होने के बाद लोक निर्माण विभाग से शेड्यूल आफ रेट तय कराया जाएगा।
राज्य में हजारों भवन जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं। यदि इतनी कम लागत में उन्हें भूकंपरोधी बनाया जा सकता है तो यह एक बेहतर विकल्प के रूप में सामने आ सकता है। चारों भवनों में भूकंपरोधी कार्य पूर्ण हो जाने के बाद डीएमएमसी इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार के सामने रखेगी। राज्य सरकार को तय करना है कि वह पुराने सरकारी भवनों, स्कूल-कालेजों आदि में इस तरह का कार्य कर उनका जीर्णोद्धार करना चाहेगी।
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