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चन्द्रमा की सतह के गूढ़ रहस्यों को उजागर करने में देश ने एक और सफलता हासिल की है। चन्द्रयान-1 द्वारा ली गई तस्वीरों के गहन अध्ययन बाद चांद की सतह में छिपी गुफा का पता चला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 1.72 किमी लंबी इस गुफा में अंतरिक्ष स्टेशन के स्थापना संभावना बढ़ गई हैं।
वर्ष 2008 में इसरो ने चन्द्रयान-1 चांद पर भेजा गया था। जिसने चन्द्रमा पर जल की मौजूदगी की खोज करने में सफलता हासिल की। अब मिशन चन्द्रयान-1 की दूसरी सफलता चांद पर लंबी गुफा की खोज के रूप में सामने आई है। भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंग्लूरू के खगोल वैज्ञानिक प्रो.आरसी कपूर के मुताबिक चन्द्रयान-1 की इस खोज को वैज्ञानिक महत्वपूर्ण खोज मान रहे हैं।
मिशन चन्द्रयान-1 में अत्याधुनिक टेर्रेयन मैपिंग कैमरा लगा हुआ था। इस कैमरे द्वारा चांद की सतह की तस्वीरें ली गई। जिनका बारीकी से अध्ययन करने के बाद हाल ही में यह पता चल पाया कि चांद की जमी के 95 मीटर नीचे गुफा मौजूद है। गुफा की लंबाई 1.72 किमी है, जबकि चौड़ाई 360 मीटर है। गुफा चंद्रमा के भूमध्य रेखा के कुछ ऊपर है। यह भूभाग सदा पृथ्वी की ओर रहता है। इस गुफा का नाम 'लावा नली' रखा गया है।
प्रो.कपूर के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि इस गुफा में अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित की जा सकती है क्योंकि चंद्रमा का वातावरण तापमान के लिहाज से कतई उपयुक्त नहीं है। वहां दिन में अधिकतम तापमान 120 डिग्री तो रात में गिरकर -130 डिग्री तक आ जाता है। साथ ही वहां कॉस्मिक किरणें भी हैं। इस वातावरण में वहां काम कर पाना आसान नहीं है। मगर गुफा का तापमान -20 डिग्री सेल्सियस है। इसमें अति शक्तिशाली कॉस्मिक किरणों का भी कोई खतरा नहीं है। ऐसे में भविष्य में चंद्रमा पर चलाए जाने वाले अभियानों को सफल बनाने में यह गुफा मददगार हो सकती है।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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