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सोनिया रावत | पहाडों पर तेजी से बढ़ रहें निर्माण कार्य के लिए वनों पर आरियां चलायी जा रही हैं। विकास के नाम पर हर वर्ष दस हजार पेड़ काट दिए जाते हैं | गत पांच साल के आंकड़ों को देखें, तो जनपद की पौड़ी, कालागढ़, लैंसडौन व रुद्रप्रयाग रेंज में 49 हजार से अधिक पेड़ों का सफाया हुआ है।
आवासीय भवन, सड़क समेत अन्य सरकारी प्रोजेक्ट पर लगातार पेड़ों का सफाया हो रहा है। वन विभाग की अनुमति के बाद वन विकास निगम को कटान और उठान की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। वन विभाग निगम पेड़ों का छपान कर उन पर आरियां चला देता है। जनपद में पौड़ी, कालागढ़, लैंसडौन व रुद्रप्रयाग रेंज के बड़े भू-भाग पर जंगल स्थित है। कभी पौड़ी में ही घने जंगल हुआ करते थे, लेकिन निर्माण में लाखों की संख्या में पेड़ों का सफाया हुआ और अब पौड़ी के शीर्ष नागदेव, कंडोलिया, क्यूंकालेश्वर क्षेत्र में ही जंगल नजर आता है। राजकीय भवनों, संस्थानों व योजनाओं के लिए पेड़ों का सफाया अभी भी जारी है। पौड़ी की चार रेंज पर नजर डालें, तो वर्ष 2009-10 में पौड़ी रेंज में 6481, कालागढ़ 326, लैंसडौन 259 व रुद्रप्रयाग 330 पेड़ काटे गए, जबकि वर्ष 2010-11 में अब तक पौड़ी रेंज में 1799, कालागढ़ 240, लैंसडौन 348 व रुद्रप्रयाग 850 पेड़ काटे गए। इससे पहले के सालों में भी पेड़ों का सफाया हुआ और पांच सालों में करीब 49 हजार पेड़ काटे गए। पर्यावरण से जुड़े लोग इसे पहाड़ों के लिए खतरनाक करार देते हैं। डॉ. विंतेश्वर बलोदी का कहना है कि इससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है और यही वजह भी है कि बरसात का पानी खेतों को भी खत्म कर रहा है।
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