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पहली बार रुद्राष्टाध्यायी का गढ़वाली अनुवाद पाठकों को उपलब्ध हो सकेगा। डॉ. मदन मोहन नौडियाल ने रुद्रष्टाध्यायी के आठ पाठों का गढ़वाली अनुवाद प्रकाशित करने के साथ ही शिव पूजा पद्धति को उसमें शामिल किया है। गढ़वाली साहित्य के क्षेत्र में अब प्रयास लगातार तेज हो रहे हैं। डॉ. मदन मोहन नौडियाल ने शिवरात्रि के पर्व पर रुद्राष्टाध्यायी पुस्तक का प्रकाशन किया है। रुद्राष्टाध्यायी के श्लोकों का गढ़वाली में अनुवाद किया गया है। हालांकि अनुवाद में कई हिन्दी शब्दों का भी प्रयोग है, लेकिन इस पहले प्रयास का लोगों ने स्वागत किया है। शिवरात्रि पर्व पर डीएवी इंटर कॉलेज में पुस्तक का विमोचन बतौर मुख्य अतिथि जिला शिक्षा अधिकारी भूपेन्द्र सिंह नेगी ने किया। इससे पहले क्यूंकालेश्वर मंदिर के महंत अभय चेतनानंद महाराज, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एलके गुसांई, मुख्य चिकित्साधिकारी चमोली डॉ. एके सिंह, प्रसिद्ध लोक गायक नरेन्द्र सिंह ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लोक गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा गढ़वाली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और हमें चाहिए कि हम अपनी मातृ भाषा में अधिक से अधिक लिखे और पढ़ें। कार्यक्रम का संचालन वीरन्द्र खंकरियाल ने किया। इस मौके पर चित्रकार बी. मोहन नेगी, गणेश खुगशाल गणी, विमल नेगी, डॉ. मुकेश डिमरी, वीरेन्द्र रावत, समेत अन्य मौजूद रहे।
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