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भानुपुरा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि योग केवल आसनों का अभ्यास नहीं बल्कि अनुशासन और समय का पालन करना योग की अनिवार्यता है और बिना इसके पालन के कोई भी सच्चा योगी नहीं बन सकता।
ऋषिकेश स्वर्गाश्रम के परमार्थ निकेतन में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय योग सप्ताह के चौथे दिन भानुपुरा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद तीर्थ महाराज ने साधकों को यम नियमों के बारे में व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि योग करने के लिए सबसे पहले साधक व उसके शरीर को तैयार करना होता है। साधक को सबसे पहले यम का पालन करना होता है जिसमें सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिगृह, ब्रह्माचर्य की अनिवार्यता है। इसके बाद नियम जिसमें शौच, संतोष, तप, स्वाध्याय शामिल हैं। इन सब बंधों को पूर्ण करने के बाद ही साधक आसन करने के योग्य हो पाता है। फिर क्रमश: प्राणायाम, प्रतिहार, धारणा, ध्यान व समाधी का अभ्यास कराना होता है। इस अवसर पर स्वामी चिदांनद सरस्वती मुनि महाराज ने कहा कि वर्तमान में योग इन सब नियमों के पालन के बजाए सीधे आसनों से ही शुरू होता है जो की योग के क्रम से खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि योगी का कार्य ही शरीर व आत्मा को जोड़ना है जो सही योगाभ्यास से ही किया जा सकता है। दोपहर में आयंगार योग विशेषज्ञ बीकेएस आयंगार व कफहर विन्यासयोग विशेषज्ञ किशन शाह ने भी साधकों को आलस्य व प्रमाद से शरीर को बाहर निकालने की विधाओं के बारे में बताया।
फोटो परिचय- योग महोत्सव के चौथे दिन साधकों को संबोधित करते भानुपुरा पीठाधीश्वर शंकराचार्य दिव्यानंद। साथ में हैं परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज ।
in.jagran.yahoo.com se sabhar
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